प्रकृति हमारी संरक्षक तो संरक्षण हमारी जिम्मेदारी – गौतम के.गट्स,जोधपुर

आलेख-

प्रकृति हमारी संरक्षक तो संरक्षण हमारी जिम्मेदारी

प्रकृति मनुष्य जाति के साथ हर प्राणी के लिए अनमोल तोहफा है ।लेकिन मनुष्य ने इसके साथ अभी बहुत ज्यादा खिलवाड़ और दोहन किया है । जिससे यह सारी जलवायु परिवर्तन की घटनाएं हो रही है । इस बार गर्मी में आई प्राकृतिक आपदाएं बाढ़, भीषण गर्मी ,भयावह आग, भू-स्खलन ,अधिक बर्फबारी, मौसम परिवर्तन इत्यादि जो हो रहा है सब इसी का परिणाम है। बाढ़ की घटनाएं आए दिन बढ़ती जा रही हैं । हर साल भीषण गर्मी बढ़ रही हैं ।जंगलों में आग की घटनाएं यह सब अत्यधिक पेड़ों की कटाई के कारण हो रहा है। हमारे यूज एंड थ्रो के कल्चर ने इस पृथ्वी को ही कूड़ा पात्र बना दिया है । जिसके कारण भी प्रकृति को नुकसान पहुंचा है ।साथ ही प्राकृतिक संपदाओं का अनावश्यक दोहन भी कारण है। भारत के उड़ीसा में चिल्का झील जहां पर मछलियां नष्ट हो गई है। ईस्टर आईलैंड जहां पर्यावरणीय दबाव के कारण स्थानीय मानव आबादी विलुप्त हो गई है ।ऐसी बहुत सी घटनाएं देश दुनिया में हो रही है । जिसका मुख्य कारण प्रकृति के साथ छेड़छाड़ और मनुष्य का ज्यादा लालची होना है।
महात्मा गांधी ने कहा था “प्रकृति मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकती हैं पर लालच के नहीं।” हम सब समझ सकते हैं कि जो कुछ हो रहा है वह हमारे लालच के कारण ही हो रहा है ।इसके लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं ।प्रकृति सदियों से हर प्राणी की संरक्षक के रूप में भूमिका निभा रही है । हमारी हर आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। इसके बगैर हमारा अस्तित्व भी संभव नहीं है पर हमने क्या किया? हम अच्छी तरह वाकिफ है।
अगर मनुष्य प्रकृति को ईश्वर मान ले और इंसानियत को अपना धर्म तो सारी समस्याओं का समाधान हो सकता है ।क्योंकि पहले प्रकृति की ज्यादा पूजा होती थी । जो धीरे-धीरे बहुत ज्यादा कम हो गई है और मनुष्य मूर्ति पूजा ,व्यक्ति पूजा में उलझ गया ।जिसके कारण यह भयावह रूप देखने को मिल रहा है। हमें प्रकृति पूजा को भी जारी रखना चाहिए। जिसमें हमें पेड़ों की सुरक्षा के साथ नए पौधे लगाते रहना चाहिए । अनावश्यक पेड़ों की कटाई नहीं करनी चाहिए।
हमें सिक्किम राज्य की सरकार से प्रेरणा लेनी चाहिए। जो “मेरो रुख मेरी संतति” पर्यावरण अभियान चला रही हैं। प्रकृति संरक्षण के लिए जनता को जोड़ा जा रहा है और परिवार में बच्चों के जन्म पर 100 पौधे लगाने का आग्रह भी सरकार कर रही है । जनता इस अभियान में रुचि दिखा रही है । इसी के साथ स्माइल वर्ल्ड पीस फाउंडेशन के “एक पेड़ मेरी जिम्मेदारी वन अभियान ” चला रही है जिसमें रक्षाबंधन के दिवस पर पेड़ पर राखी बांधकर उसके संरक्षण की जिम्मेदारी युवा और वृद्ध ले रहे हैं। लेकिन केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें इसके साथ संस्थाएं जो अभियान चला रही हैं वह नाकाफी है । लाखों की संख्या में पौधे लगाए जाते हैं पर इनमें से कुछ ही पेड़ बन पाते हैं । क्योंकि संरक्षण का अभाव और जिम्मेदारी की कमी है । देश दुनिया भर में कार्बन उत्सर्जन को कम करना है तो प्रत्येक व्यक्ति को एक पौधा लगाकर उसे पेड़ बनाने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए ।इतना ही अगर हम कर दे तो काफी बदलाव देखने को मिल सकता है ।
पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग एक छोटी सी बच्ची पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा है । जो प्रकृति के संरक्षण की जिम्मेदारी निभा रही है । राजस्थान में तो पेड़ों के कटने से बचाने के लिए सैकड़ों महिलाओं ने अपने प्राणों का बलिदान दे दिया था। दुनिया भर में बहुत से उदाहरण है जो हमें प्रेरणा देते हैं ।
इसलिए प्रकृति जब संरक्षक के रूप में अभी तक जिम्मेदारी निभा रही हैं तो हम मनुष्य संरक्षण की जिम्मेदारी से पीछे क्यों हट गए।

हर साल 28 जुलाई को विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाया जाता है पर एक रस्म अदायगी की तरह ही मनाते हैं। इस बार प्रकृति को ईश्वर मान के शपथ ले कि जो प्रकृति हमारी सदियों से संरक्षक रही है । अब हमारी जिम्मेदारी है कि इसका संरक्षण करें । जिससे धीरे-धीरे कुछ तो बदलाव होगा । जो प्रकृति को संरक्षण और संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं । बस प्रकृति को ईश्वर और इंसानियत को अपना धर्म माने और एक नई शुरुआत करें।

गौतम के.गट्स
युवा कवि,लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता।
एयरफोर्स,जोधपुर,राजस्थान, इंडिया।

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