

ग़ज़ल
क़दमों को छू के साया लब ए बाम तक गया
चलना था जिसका काम वो मुकाम तक गया
दिल के दर ओ दीवार बहुत खस्ताहाल थे
मेहमान जो भी आया यहाँ शाम तक गया
जिसको लिखा है तूने हरफ चूम चूम के
अफसाना तेरा वो ही तो अंजाम तक गया
उसकी कलंदरी में ही वो मस्त पादशाह
तेरी सदा का हौल तो बस लाम तक गया
मख़मूर हूँ मैं माना मगर इस कदर नहीं
देखूँ हूँ कैसे प्याला मेरा जाम तक गया
ममता बाजपेई
इटारसी

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
