

कार कारे घन
भिलाई: मेघा की थाप पर झूम रहा मन
घन घन घन शोर करे कारे कारे घन
मिलने को आतुर है पी से तन बदन
व्याकुल है मनवा मेरा व्याकुल मधुबन
पीयूष नेह की छलकी है गगरी हमारी
जानू ना जानू मैं कैसी है ए खुमारी
कानों में गूंज रही गीत की गुनगुन
हरे भरे कुंज में लताएं निखर कर
तरुवर से लिपट रही जैसे बिखर कर
पुलकित आनंदित हर्षित है बाग उपवन
दर्शन से खिल उठा ह्रदय कानन
खुशबू से महक उठा इत्र जैसे हो चंदन
थिरक रही रागी अनुरागी कांचे आंगन
घन घन घन शोर करे कारे कारे घन
मिलन को आतुर है पी से तन बदन।
– डॉ बीना सिंह “रागी ”
भिलाई

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
