

नियम
सीटी की तेज आवाज़ सुनते ही सभी धावक दौड़ने लगे , ये क्या . ! अरविन्द तो वहीं खड़ा रहा,एक साथी ने पीछे मुड़ कर देखा तो वह भी रूक गया ।एक एक करके सभी रूक गये । सभी दर्शक मैदान के अधिकारी ,कर्मचारी और अध्यापक गण आश्चर्य से अरविंद को देखने लगे ,सभी को उम्मीद थी कि वही रेस में फ़र्स्ट आयेगा ।
“अरे क्या हुआ अरविंद तुमने दौड़ में हिस्सा क्यों नहीं लिया “ स्पोर्ट्स सर ने पूछा “इस तरह कार्यक्रम में बाधा डालने का क्या कारण है..?”
“नियम सर … नियम के अनुसार रमेश को भी भाग लेना चाहिए था ,मगर उसे ग़लत निर्णय के कारण रेस से बाहर कर दिया गया ।रमेश मुझसे बेहतर खिलाड़ी है वह मुझे हरा देगा इस डर से कि कहीं मेरे पिताजी जो प्रिंसिपल हैं नाराज़ न हो जाये,उसे दौड़ से बाहर रखा गया है ।ये ग़लत है मुझे नहीं बनना सबसे बड़ा खिलाड़ी , इनाम से ज़्यादा मुझे रमेश की दोस्ती प्यारी है ।“
सब हक्के बक्के रह गये ,शर्मा सर जिनके कहने पर ये सब हुआ वो तो बहाना मार कर मैदान से गुल हो गये । एक उच्च पदाधिकारी ने बात को सम्भाला रमेश को बुलाया गया , और फिर से दौड़ आरम्भ हुई । अरविंद दूसरे नम्बर पर आया पर उसने नियम का पालन कर के सबका मन जीत लिया था । प्रिंसिपल सर ने भी अरविंद को गले लगा कर कहा “बेटा मुझे गर्व है कि तुमने सही का साथ दिया …।मुझे तो पता ही नहीं था लोग मेरी नज़रों में अच्छा बने रहने के लिये कितने ग़लत काम करते है । तुमने मेरी आँखें खोल दी ।”
आगे बढ़ कर उन्होंने रमेश को प्रथम पुरस्कार दिया और आशीर्वाद भी दिया कि वो और तरक़्क़ी करे ।
–कुन्ना चौधरी
जयपुर

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
