काव्य : चंद्रयान – डॉ चंचला दवे ,सागर

चंद्रयान

चंदा शशि शशांक
विधु
चंद्रयान लेकर आयेंगे
चंदा मामा
देखने तुम्हारा अंगना

कभी कातती सी चरखा
बुढ़िया आती नजर
कभी कन्हैया ने
मैं तो चन्द्र खिलौना लैंहों
कह कर अश्रू बहाये

आज तुम्हारे आंगन
चन्द्र यान लेकर पहुंचा
देश तुम्हारे साजन

ईद के तुम चांद
चौथ के भी उतने प्यारे
अब कैसे बहलायेंगे
थाली में भरकर पानी

चुप हो जा मेरे लाल
चंदा मामा आयेंगे
पूरी खीर पकायेंगे

अब तो राह देख ली
चंदा तेरे घर की
लल्ला को न मनायेंगे
सीधे लेकर उसको
तेरे घर आयेंगे

डॉ चंचला दवे
लेखिका,कवयित्री
सागर मप्र

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