काव्य : कितने गिर गये हैं देश के नेता -अरविन्द अकेला,पटना

कितने गिर गये हैं देश के नेता

कितने गिर गये हैं देश के नेता
कितने गिर गये हैं हमारे दल
मुर्ख समझ रहे जनता को
देश को बना रहे ये दलदल।
कितने गिर गये हैं…l

हो रहे हैं एक सारे भ्रष्टाचारी
मिल रहें हैं सारे अत्याचारी
सता पाने की दिख रही बेचैनी
कर रहे आपस में कल-बल।
कितने गिर गये हैं…l

कभी सेंटीमेंटल दाँव खेलते
कभी हिन्दु-मुस्लिम को छलते
हंसाते विदेश में नाम देश का
गिराते देश का आत्मबल।
कितने गिर गये हैं…l

कभी पड़ोसी दुश्मन से मिलते
कभी आतंकी गोद में खिलते
कभी संसद में आँख मारकर
करते देश की समस्या बिकल।
कितने गिर गये हैं…l

इंडिया का नाम ये नीचा गिराते
गठबंधन का नाम इंडिया बताते
इंडिया नहीं ये है इंदिरा एलायंस
कर रहे सहयोगियों से भी छल।
कितने गिर गये हैं…l

पा जाते जब ये सता देश में
आ जाते ये अलग रंग-भेष में
मिलते ये दंगाई,आतातायी से
करते नहीं देश की समस्या हल।
कितने गिर गये हैं…l

अरविन्द अकेला
पूर्वी रामकृष्ण नगर,पटना-27

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