काव्य : क्रांति वीर आजाद – डॉक्टर चंददत्त शर्मा रोहतक

क्रांति वीर आजाद

क्रांतिवीर शमशीर धीर की, गाथा आज सुनाता हूं
जिनके लहू आई आजादी, उनकी बात बताता हूं
तेइस जुलाई ऐसी आई ,भारत में आह्लाद हुआ था
सीताराम तिवारी के घर, आजादी आगाज हुआ था।

धीमी गति थी जो क्रांति की आजादी परवाज हुआ था
आजाद कराने भारत को , जगरानी से आजाद हुआ था।
बचपन से जो आजादी का, दीप हाथ पे लाए थे
बैंत लगा था जब जब तन पे , वंदेमातरम चिल्लाए थे।

बिस्मिल से मिल देश की खातिर जिसने ट्रेन को लूटा था
लाला लाज की मृत्यु से, फिर दिल में शोला फूटा था
सांडर्स के अंगरक्षक पे शेर के मानिंद टूटा था
ब्रिटिश टापू डुबाने को ज्यों, ज्वार सागर का उठा था।

असहयोग आंदोलन आ के ,जिस दिन गिरफ्तार हुए थे
जज के सम्मुख नही डरे, सिरदर्दी की टंककार हुए थे
जब पूछा था परिचय उनसे, करारा जवाब दिया था
नाम आजाद, काम आजादी, घर जेल बता, हिसाब किया था।

अंग्रेजों के हाथ लगे ना, ऐसे जांबाज आजाद हुए
उनके आजाद जज्बातों से, भारतवासी आबाद हुए
खुद ही गोली मार के जो, इस दुनिया से आजाद हुए
आजादी की बिगुल बजा के, आजादी की फरियाद हुए।

डॉक्टर चंददत्त शर्मा
रोहतक

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