

रचनाकार
समय की थाप पर,
संघर्ष की कतारों में,
व्यक्ति झूलता जाता ,
ब्रम्हांड के उड़न खटोलों मे
कुछ नियति तय होती कर्मों की
कुछ कामनाओं की भीख से,
थका इंसान दौड़ने को विवश ,
रुक गया तो राख हो जाएगा ।
ढहती हर इमारतें भ्रम की ,
रास्ते प्रतिमाएँ तोड़ते चलते ,
नयी प्रतिमाएँ गढ़ने को ,
प्रतिमाएँ बनती ही हैं
टूट टूट कर प्रहारों से
बनना फिर टूटना ,
मिट्टी में मिल जाना,
नियति यही फिर भी
नहीं समझ पाते इंसान
ये रचनाकार कौन है
स्वयं या कोई और?
हरे कृष्ण हरे राम ।
–रानी पांडेय,
रायगढ़ छत्तीसगढ।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
