काव्य : मातृ-पितृ दिवस मनहरण घनाक्षरी छंद – अरविंद सोनी “सार्थक”,रायगढ़

मातृ-पितृ दिवस

मनहरण घनाक्षरी छंद

पिता माता गुरुवर, ज्ञान के वो प्रभाकर,
कुंभकार जैसे वे ही , गढ़ते संतान है!

कोमल अवस्था में जो, देते थाप पीठ पर,
अनुभवी हाथों से वो, सँवारे जहाँन है!

आदतें जो बालपन, एक बार लग जाएं,
संस्कारों में घुल कल, रचें कीर्तिमान है!

सार्थक प्रयास से ही, संतानें संस्कारी बने ,
परिवार का सम्मान , माता पिता शान है!

पिता का सम्मान करें, माता का भी मान करें,
जीवन सफल बनें, पाए वरदान है!

मातृ-पितृ को सदैव , नमन वंदन करे
अनंत आशीष पाए, देते सदा ज्ञान है!

बनें हम ज्ञानवान, रहें सदा आशावान,
गुरु माता पिता से ही, जग पहचान है!

सार्थक संयम साथ, सतत साधना करें,
सफल जीवन रहे , यही अरमान है!

अरविंद सोनी “सार्थक”
(मूलतः रामपुरा मंदसौर म प्र)
रायगढ़ छ ग

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