काव्य : चंद्रशेखर आजाद – सुनीता मलिक सोलंकी मुजफ्फरनगर

चंद्रशेखर आजाद

स्वतंत्रता सेनानी को है फितूर
आजादी वापिस लानी जरूर

उस आजादी का करें जिक्र
जिसकी चंद्रशेखर को फिक्र
फिरंगियों से देश कैसे बचाऊं
कैसे देश का झंडा फहराऊं
खो गया जो चेहरों का नूर
आजादी वापिस लानी जरूर

सुनो मेरा नाम है आजाद
मैं जीना चाहता हूं निर्बाध
स्वाधीनता है हमारा स्वप्न
भगत,राज गुरु मैं आजाद
अंग्रेजियत जो हो रही मग़रूर
आजादी वापिस लानी जरूर

सुखदेव,बटुकेश है जन जन
भारत की आजादी में तन-मन
झौंका जिन माटी के लाल ने
गुलामी में खो गया था बचपन
अपने देश में हम जीएं भरपूर
आजादी वापिस लानी जरूर

अंग्रेजों की गुलामी का दंश
झेल रहे थे जाने कैसे हम
हम पर दो सौ वर्ष का राज
आजादी उद्देश्य हमारा बुलंद
हम सब एक हैं,नहीं कोई दूर
आजादी वापिस लानी जरूर

शहादत देने वाले वीर को
सलाम हमारा रणवीरों को
सिपाही देश के हर नर नारी
याद करो जलियाँबाग को
जहां बहा कितना निर्दोष लहू
आजादी वापिस लानी जरूर

अल्फ्रेड पार्क,चौरा चौरी काण्ड
होता रहते थे लाखों बलिदान
हर भारतीय दिल की थी चाह
महान सपूत का आजाद पार्क
शहीदों की प्रतिमा चढाएं फूल
आजादी वापिस लानी जरूर

सुनीता मलिक सोलंकी
मुजफ्फरनगर उप्र

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