काव्य : पंडित चंद्रशेखर आज़ाद – रंजना श्रीवास्तव,नागपुर

पंडित चंद्रशेखर आज़ाद

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में प्रसिद्ध चंद्रशेखर आज़ाद
‘हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन’ जिनसे था आबाद।

ग्राम भावरा में जन्मे थे पंडित सीताराम के धीर सपूत
उत्तर प्रदेश का भाग्य जागा लाखों में एक वीर सपूत।

‘संस्कृत विद्यापीठ’ में संस्कृति संस्कृत का पाठ किया
असहयोग आंदोलन में शामिल सक्रिय सहभाग दिया।

चन्द्रशेखर आजाद एक दिन धरना देते हुए पकड़े गए
पारसी मजिस्ट्रेट खरेघाट की अदालत में जकड़े गए।

खरेघाट को वीर के देशप्रेम की आभासी छाया मिली
मैं आज़ाद, पिता स्वाधीन, घर जेल, रूह काया हिली।

मजिस्ट्रेट ने चन्द्रशेखर पर गिन गिन अत्याचार किए
जल्लाद ने चौदह वर्षीय लाल पर लगातार प्रहार किए।

चन्द्रशेखर तो बचपन से ही पीड़ा सहन करते रहे
पड़ती हर एक बेंत पर “भारत माँ की जय” बोलते रहे।

आजाद ससम्मान उत्तीर्ण हुए थी प्रथम अग्नि परीक्षा
काशी में अभिनन्दन हुआ और ली आजादी की दीक्षा।

सहारनपुर लखनऊ रेल से फिर अंगेज़ी ख़ज़ाना लूटा
सभी क्रांतिकारी पकड़े गए आज़ाद अभी तक छूटा।

भगतसिंह जैसा क्रांतिकारी अब आज़ाद का साथी था
उत्तर प्रदेश व पंजाब तक उड़ता पार्टी का पाखी था।

एक धोखे से “साइमन कमीशन” की नियुक्ति की गई
जिसके विरोध में काले झण्डे से अभिव्यक्ति की गई।

प्रदर्शनकारियों पर लाहौर में पुलिस ने लाठियाँ बरसाईं
पंजाब के लाजपतराय पर मौत की आँधियाँ बरसाई।

आज़ाद व भगतसिंह ने विरोध जताने का साहस किया
पुलिस अधीक्षक सांडर्स को मृत्यु देने का निश्चय किया।

भगतसिंह व बटुकेश्वरदत्त ने असेंबली में विस्फोट किया
सरकार द्वारा निर्धारित काले क़ानूनों का विरोध किया।

अशुभकाल जब आज़ाद ने ‘अल्फ़्रेड पार्क’ में ठौर लिया
पुलिसअधीक्षक ‘नाटबाबर’ ने चन्द्रशेखर पर गौर किया।

गोलियों पर गोलियाँ आज़ाद के सीने पर फिर दाग़ दीं
कनपटी पर नली लगाकर वीर ने स्वेच्छा मृत्यु साध ली।

चंद्रशेखर आज़ाद के बलिदान से बढ़ा यह आंदोलन
हज़ारों युवा कूद पड़े यज्ञ में अत्याचार का जड़ोन्मूलन।

बीते उनकी शहादत के सोलह वर्ष और कटी परतंत्रता
वीर का सपना पूर्ण हुआ पाई भारत भू ने स्वतंत्रता।

रंजना श्रीवास्तव
कवयित्री
नागपुर, महाराष्ट्र

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