काव्य : चंद्रशेखर आजाद – रीतु प्रज्ञा दरभंगा, बिहार

चंद्रशेखर आजाद

हे! वीर सपूत ,
आसमां हिन्दुस्तान के
जगमगाते तारे,
नमन तुम्हे,
बारमंबार नमन।
हे!वीर सपूत चंद्रशेखर
मां भारती के आंखों के तारे
बसे हो तुम
अखंड भारतवासी के आंखो में
है याद तेरी शहादत
खाए कोड़े
हंसते हुए
दिलायी याद नानी
दुष्ट अंग्रेजों को,
राष्ट्र प्रेम बंधन में बंधते हुए।
सांडर्स हत्या,
असेम्बली बम कांड
काकोरी कांड,
विरोध अंग्रेज नीति
किए बेखौफ
छोड़ घर-परिवार
रहे चलते आजादी पथ
लिए हृदय उमंग
देते रहते दुष्टों को खौफ।

रीतु प्रज्ञा
दरभंगा, बिहार

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