काव्य : सोच लो – ऋषिका राजपूत ,रहली,सागर

सोच लो

सोच लो ,
क्या तुम कर पाओगे ?
सोच समझ कर कदम उठाना,
बिना रुके बढ पाओ तो बढते जाना …
कोई ना रोक पाए तुम्हे ,तुम ऐसा मन बनाना,
ये मन जो फंसाए तुम्हे ,तुम इसको उलझाना ,
हर तरफ से मोड इसे लक्ष्य पर लगाना ,
बढ पाओ तो बढते जाना …

जो बांधाए आए तुम उनसे ना घबराना ,
डट कर सामना करना लड जाना,
बिना मंजिल तक पहुंचे तुम लोट ना आना ,
बढ पाओ तो बढते जाना …

एक पल को तु ना भूल पाना ,
कि तुझे क्या है पाना ,
देख आसमा पंख फैला और उड जाना,
बढ पाओ तो बढते जाना…

है जो अंधकार तेरे जीवन में ,
इसमे तुझे है रोशनी लाना ,
इसमे तुझे है प्रकाश का दीप जलाना ,
अपने लिए नहीं तो दूसरो के लिए,
बढ पाओ तो बढते जाना ।
बढ पाओ तो बढते जाना ।

ऋषिका राजपूत
रहली,सागर ,मध्य प्रदेश

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