

लघुकथा
पाती
“क्या पढ़ रहे हो?”
” पाती।” सुनील ने मित्र राजेश के घर पहुंचने पर कबीर ग्रंथावली से ध्यान हटाते हुए कहा।
“पर ये..कबीर की पुस्तक है..बेवकूफ बनाने के लिए क्या मैं ही मिला?”
“सच्ची।”
“मतलब?”
“भगवान ने हर युग ने महापुरुषों को भेजकर संदेश दिया है कि जीवन क्षणभंगुर है और अच्छाई करो। ये महात्मा ही तो प्रभु की पाती हैं।”
“सत्य वचन डियर!”
मित्र राजेश ने सिर हिलाया।
– डॉक्टर चंद्रदत्त शर्मा
रोहतक

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
