काव्य : कैसे कैसे आए बादल! – सुरेश गुप्त ग्वालियरी विंध्य नगर बैढ़न

कैसे कैसे आए बादल!

कैसे कैसे आए बादल!!
नीले बादल काले बादल!!
कहीं चमकते आए बादल,
कही गरजते आए बादल!!
कहीं तरसते आए बादल!!
कही बरसते आए बादल!!
कहीं छलकते आए बादल!!
कही मचलते आए बादल
कही झूमते आए बादल!!
कहीं चूमते आए बादल!!
अमृत बादल राहत बादल!!
झोपड़ पट्टी आफत बादल
आंसू के उनके घर बादल
इनके घर मस्ती के बादल!!
कहीं सड़क पर बहते बादल!!
गोरी के सपनों के बादल!!
झलक दिखाकर भागे बादल!!
कैसे कैसे निष्ठुर बादल,
आग लगाकर भागे बादल!!

सुरेश गुप्त ग्वालियरी
विंध्य नगर बैढ़न

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