काव्य : आंसुओं की धार – अभय चौरे हरदा मप्र

आंसुओं की धार

मात पिता की प्यारी परियां
हो रही लव जिहाद की शिकार
धर्म संस्कृति का ज्ञान बता
बनायें उनको मजबूत दिवार ।। 1

दुर्गा रानी लक्ष्मीबाई बनाये
ना बनाये उनको कभी लाचार
ताकी वो ना कभी मिले आपको
टुकड़ो टुकड़ो में कहीं भी उपहार।।2

नजरें रखे ऊनपर सदा सदा ही
ताकी ना हो उनका जीवन बेकार
आप रखे सदा खुद को चौकन्ना
और बनायें बेटी को समझदार।। 3

ना बने किसी विधर्मी की संगी साथी
हो ना लव जिहाद की वो शिकार
सुखी रहे परिवार सदा आपका
आंखो से न बहे आसुओं की धार ।।4

अभय चौरे
हरदा मप्र

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