लघुकथा : नजरिया – सुधीर महाजन देवास

लघुकथा

नजरिया

दृश्य : 1

अरे मिश्रा कितना समय हो गया तुम्हें इस जॉब में ?
जी सर 24 साल ।
इतने सालों में ओहदों में फर्क करना नहीं समझे ?
जी ..जी वो….
अरे भाई निरीक्षण कमेटी में वो हमारे अधीनस्थ है । ऐसे कैसे हम एक ही कार में चले जाए ऐं ?

उनके लिये अलग गाड़ी की व्यवस्था कीजिये । हाँ दोनों गाड़ियां साथ चले हमें कोई एतराज़ नहीं है ।

जी सर ।

दृश्य : 2

अभी हमारी कमेटी ने निरीक्षण किया ..हालात तो वाकई अच्छे नहीं है । हमें पानी जैसे जरूरी संसाधन का अपव्यय रोकना होगा और जल संरक्षण की दिशा में अतिशीघ्र काम करना होगा ।

ये हमारे मिश्राजी है …जो प्राकृतिक संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में पिछले 24 सालों से काम कर रहे हैं और ये ही आप लोगों को आने वाले दिनों में इस सम्बंध में आवश्यक मार्गदर्शन देंगे । कौन छोटा है कौन बड़ा..यह भूलकर सहयोगात्मक माहौल बनाएंगे तो इस समस्या का निदान हो सकता है ..और हाँ इस नेक काम में मैं आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हूँ ।

तालियों की गड़गड़ाहट फ़िज़ा में फैल गई ।

सुधीर महाजन
देवास

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