

लघुकथा
लूट
अच्छे नम्बर लाने के बावजूद उसे कॉलेज में एडमिशन न मिल पाया था जबकि उससे कम नम्बर पाए लोग एडमिशन पा चुके थे। अपनी बिछावन पर चुपचाप लेटा हुआ वह, अपना ग़म ग़लत कर रहा था।
तभी मां प्यार से सिर पर हाथ फेरते हुए बोलीं, “बेटा मैं तुम्हारी मनोदशा समझ सकती हूं। पर… यह तो मात्र शुरुआत है। यह अन्याय तो तुम्हें न केवल एडमिशन बल्कि नौकरी और पदोन्नति हर जगह मिलेगा। मुझे तुम पर पूरा विश्वास है। चाहे अपने देश में न सही, अपने टैलेंट के हिसाब से तुम वर्ल्ड के बेस्ट कॉलेज में एडमिशन पा सकते हो।”
“माँ, लोग क्यों कहते हैं कि देश में विदेशी आक्रमणकारियों ने ही लूट मचाई थी। लूट तो आज भी जारी है।” और चार नम आँखें… टैलेंट की लूट की गवाह थीं।
– अंजु गुप्ता “अक्षरा”
हिसार

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
