

नर्मदापुरम के वालंटियर सरकारी स्कूलों की मदद में सबसे आगे
(स्कूल चलें हम अभियान)
सरकारी स्कूलों में भर्ती के अलावा इन स्कूलों में स्कूल चलें हम अभियान के अंतर्गत इन दिनों स्कूली बच्चों को विभिन्न रूप से मार्गदर्शन देने के लिए वालंटियर रजिस्ट्रेशन का काम किया का रहा है।
वालंटियरों से स्कूलों में बच्चों के प्रवेश दिलाने, उनके बौद्धिक विकास के लिए खेल, साहित्य, सांस्कृतिक आदि गतिविधियों में सहयोग की अपेक्षा की जा रही है।
वालंटियरों के रजिस्ट्रेशन के आज तक के आंकड़ों पर ध्यान दिया जाए तो नर्मदापुरम कई मायनों में अलग पहचान के साथ दिखाई दे रहा है। प्रदेश के सभी जिलों में वालंटियर पंजीयन की सूची में नर्मदापुरम 2452 के साथ तीसरे स्थान पर है। पहले स्थान पर जबलपुर 3348 के साथ और दूसरे स्थान पर सागर 2592 के साथ खड़ा है। लेकिन नर्मदापुरम को अव्वल नंबर पर इसलिए माना जाना चाहिए क्योंकि नर्मदापुरम में इन दोनों जिलों की अपेक्षा स्कूलों की संख्या काफी कम है। इस अभियान में शामिल स्कूलों की संख्या पर गौर करें तो जबलपुर के 1802 और सागर के 2641 स्कूल शामिल हैं। इस मान से नर्मदापुरम के 1344 स्कूलों और इन स्कूलों के बच्चों की बेहतरी के लिए 2452 वालंटियर आगे आए हैं जिसकी सर्वत्र प्रशंसा होनी चाहिए।
प्रदेश की राजधानी भोपाल के 858 स्कूलों में से 287 स्कूलों में ही वालंटियरों ने रूचि दिखाई है और कुल पंजीकृत वालंटियर संख्या 388 का आंकड़ा ही छू पाई है। प्रदेश के अन्य महानगरों ग्वालियर, इंदौर, उज्जैन, छिन्दवाड़ा आदि की भी स्थिति यही बनी हुई है। यहाँ तक कि आदिवासी बाहुल्य जिलों में जिनमें स्कूलों की संख्या इन सभी से कहीं कहीं दुगुना, तिगुना और चार गुना तक है वहां भी वालंटियर पंजीयन की स्थिति काफी पिछड़ी नजर आ रही है।
ऐसे में नर्मदापुरम जिले के सभी पंजीकृत वालंटियर के लिए एक साधुवाद तो बनता है।
इंजी. बी बी आर गाँधी
फ्रीलान्स जर्नलिस्ट व सामाजिक कार्यकर्त्ता

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
