

लघुकथा
मातृभाषा
रोहित पाठशाला से आया था। आज वह पहली बार अपनी नयी पाठशाला गया था। वह खुश नहीं था।
माँ ने रोहित से उसकी उदासी का कारण जानना चाहा। वह बहुत पूछने पर जो बोला,वह चौकानेवाला था। माँ! मैं नयी पाठशाला नहीं जाऊंगा; हमारे शिक्षक कहते हैं कि उसे इंग्लिश बोलने नहीं आती है,पहले इंग्लिश बोलना सीखो। क्या मैं अपनी मातृभाषा में पढ़ाई नहीं कर सकता हूँ?
– डॉ.गणेश पोद्दार
रांची।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
