

मैंने जो देखा बूंदों को
रिमझिम बूंदें बरस रहीं
कभी तेज ,कभी धीमी
मैंने जो देखा बूंदों को
इस तरह मधुर गान
गाती हुई मग्न
पत्तों संग भींगने लगी
लय से लय मिला
पायल छनकाई
गाने-झूमने लगी हो विभोर
सूखी प्रेम डालियों पर
पनपा प्यार के कोंपल
झूलने लगी झूला
संग हरितिमा
कलियों, फूलों से
करने लगी प्यारी बतियाँ
ढूंढने लगी नजरें
बलम परदेशी
खो गई स्वप्न में
लाई होश
भींगती मुस्काती सहेलियाँ।
– रीतु प्रज्ञा
दरभंगा, बिहार

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
