काव्य : मनहरण घनाक्षरी छंद, मन – अरविंद सोनी “सार्थक”,रायगढ़

मन
मनहरण घनाक्षरी छंद (कवित्त)

सदा सुन मन की पुकार जान अंतस को,
उसे प्रभु आदेश समझ बस मानिए!

अनदेखी जब भी अंतर आत्मा की जो किए,
जीवन में ठोकरें खाना भी तय जानिए!

जब कभी मन के विचारों में जो द्वंद चले,
उस वक्त धीरज से राह पहचानिए!

हरि कृपा अनंत महिमा उसकी अपार,
शांत चित्त सार्थक आनंद नित छानिए!

अरविंद सोनी “सार्थक”
(मूलतः रामपुरा मंदसौर म प्र)
रायगढ़ छ ग

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