

<img src="https://yuvapravartak.com/wp-content/uploads/2021/07/IMG-20210730-WA0013123146_30721-225×300.jpeg" alt="" width="225" height="300" class="aligncenter size-medium wp-image-53906" /
मशविरा/सलाह
एक दिन मुझे एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जाना था।
तो मैंने रामलाल जी से कहा यार रामलाल जी मुझे अपने नाती की स्कूल के वार्षिक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनाया है।
जिस पर रामलाल जी बोले यह तो अच्छी बात है और बड़ी खुशी की बात है। तब मैंने कहा यह मेरा पहला अवसर है जब मुझे अतिथि के रूप में जाना है। आप कुछ ऐसी सलाह दें, ऐसा मशविरा दें जिससे वहां के कार्यक्रम में कुछ कह सकूं।
तब रामलाल जी बोले यार पंडित जी पहली बात,आप वहाँ वही बोलें जो वहां उपस्थित जनसमूह सुनने को आया है। विषय से हटकर ना बोलें और उसे भी सजा-धजा कर ना बोलें। कम शब्दों में बहुत कह दें। दूसरा,आप उतना ही बोलें जितना वे सुन सकें ऐसा ना हो कि, सुनने वाले उठ कर चुपचाप जाने लगें। तीसरा, वहां संभव है कुछ विद्वान और वरिष्ठ तजुर्बे कार भी होंगे तो आप उनके आगें अपने आप को अधिक विद्वान साबित ना करें। चौथा, आप अपने से कम उम्र वालों का भी विशेष ध्यान रखें। उनके मन में आपको सुनकर ऊब पैदा ना हो। एक बात और आप घर से पूरी तैयारी करके छोटा भाषण तैयार करके ले जाएँ। एक बात और आप भी औरों की तरह जैसा कि आज कल हो रहा है,भाषण के दौरान अपने स्वयं के क़सीदे ना गंढ़े।
आखरी,जो बहुत महत्वपूर्ण भी है समय का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि समय ही सबसे और सबको कीमती है किसी का अधिक समय ना लें ना आयोजकों का और ना श्रोताओं का। एक और सलाह! आप वही बोलें और भाषा भी वही हो जो वहाँ के श्रोता समझ सकें।
अन्यथा कुछ लोग आपको पूरा सुनने के पहले ही खिसकने लगेंगे और जो कुछ बैठे रहेंगे वे या तो आपके या कार्य क्रम और आयोजकों के संकोच के कारण मजबूरी में बैठे रहेंगे।
अब आप जैसा उचित समझें करें आपने मुझसे सलाह ली मैंने दी अब मानना और ना मानना आपके हाथ में है।
और फिर दूसरे दिन मैंने रामलाल जी का धन्यवाद करते हुए कहा आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूँ । जैसा आपने मुझसे कहा था मैंने वैसा ही आपके निर्देशों का पूरी तरह से पालन किया जिसके परिणाम स्वरूप मुझे बहुत सम्मान के साथ पाठकों ने,सभी श्रोताओं ने सुना और मेरी बहुत प्रशंसा भी की मैं ह्रदय से आपका आभारी हूँ।
–आर के तिवारी
सागर

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
