काव्य : सावन – डॉ कुमारी चंदा देवी स्वर्णकार जबलपुर

सावन

हाइकु

सावन आया
मनभावन लागे
झूमती डाली

बादल काले
मौसम है सुहाना
बारिश आई

नाचते मोर
मन करता शोर
घटाएं काली

बदरा आए
काले काले मेघ हैं
बरसे पानी

मन में आस
सावन ऋतु खास
बुझाती प्यास

रात दिन मैं
करती इंतजार
गिरधारी का

श्रावण मास
शिव शंकर की पूजा
नर्मदे हर

अभिषेक है
सावन मलमास
आशुतोष का

झूले डले हैं
हरियाली छाई है
अमराई में

डॉ कुमारी चंदा देवी स्वर्णकार
जबलपुर मध्य प्रदेश

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