काव्य : बाल गीत – अमित शिवकुमार दुबे माहिम रोड,पालघर

बाल गीत

लगते प्यारे और अनूप।
बच्चे हैं भगवान का रूप।

कितनी प्यारी इनकी बोली,
करते सबसे हँसी-ठिठोली,
वैर किसी से नहीं ये ठाने,
जो करना है,कर के माने,
यह अपनी मस्ती में जीते,छाँव मिले या धूप।
लगते प्यारे और अनूप।
बच्चे हैं भगवान का रूप।

सबको यह लगते हैं प्यारे,
धरती के यह चाँद-सितारे,
इनकी अपनी इक दुनिया है,
जिसमें खुशियाँ ही खुशियाँ है,
जिस आँगन इनकी किलकारी,समझो सुख का कूप।
लगते प्यारे और अनूप।
बच्चे हैं भगवान का रूप।

यह तो सबका साथ निभाते,
खुद हँसते,सबको ही हँसाते,
भेदभाव को यह न जाने,
निश्च्छल हरपल ही मुसुकाते,
इनकी बात न कोई टाले,रंक हो या फिर भूप।
लगते प्यारे और अनूप।
बच्चे हैं भगवान का रूप।

अमित शिवकुमार दुबे
माहिम रोड,पालघर

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here