काव्य : मेरी ख़ुशियाँ – निधि शर्मा , मुजफ्फरनगर

मेरी ख़ुशियाँ

जिसे देखते ही खिल जाए चेहरा मेरा,
इक ऐसा शख्स कहीं दूर मेरे ख्वाबों मे मिला करता है,,
दुनिया जहां से बेख़बर,
शायद थोड़ी सी मेरी परवाह किया करता है,
मेरे लबों पर उसके नाम से ही आ जाती है,
इक प्यारी-सी मुस्कान, वो भी देख कर
खुद पर इतरा दिया करता है,,
जाने क्या होगा जब मिलेंगे हम दोनों इक दूजे से,
ये सोच कर दिल धड़क जाया करता है,,
खुद सब कुछ सोच लेती हूं,
वो क्या सोचता होगा, मैं जानती हूं
सारा वक़्त यही सोचने में निकल जाया करता है
मैं जानती हूं वो शख़्स नहीं है मेरा
फिर भी उसी पर एतबार करती हूं,
मुझे नहीं आता उसे गुमराह करना,
मैं मुस्कुराते हुए उसकी ख़ुशी के लिये
सब कुछ कुर्बान कर सकती हूं।

निधि शर्मा
मुजफ्फरनगर

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here