

पुरुषोत्तम मास:मनभावन सावन में शिव उपासना के उनसठ दिवस
मनभावन सावन का महीना आते ही मन मस्तिष्क प्रफुल्लित हो उठता है, अनेक पर्व त्यौहारों के साथ त्रिलोकेश्वर भगवान शंकर को सर्वाधिक प्रिय होने के कारण उनकी ही पूजा अर्चना की जाती है। देवाधिदेव महादेव को भक्तिभाव से पूजन करने वाले भक्त अतिशय प्रिय होते हैं और वे उनकी मनोकामना पूर्ण करते हुए कल्याण करते हैं।
विक्रम संवत 2080 में पुरुषोत्तम मास के कारण सावन में 4 जुलाई से 31 अगस्त 2023 तक 59 दिन आनंद की वर्षा होने वाली है, भगवान शिव और माता पार्वती की असीम कृपा पाने का सौभाग्य मिल रहा है।
वैदिक पंचांग की गणना सौर मास और चंद्र मास के आधार पर की जाती है। चंद्र मास 354 दिनों का होता है जबकि सौर मास 365 दिन का। दोनों में करीब 11 दिन का अंतर आता है और तीसरे साल यह अंतर 33 दिन का हो जाता है, जिसे अधिक मास, मल मास या पुरुषोत्तम मास कहा जाता है। इसी गणना के अंतर्गत इस वर्ष सावन दो महीने तक रहेगा।
सावन अर्थात श्रावण माह की महत्ता का वर्णन करते हुए महाभारत के अनुशासनपर्व (106। 27) में महर्षि अंगिरा कहते हैं कि :
“श्रावण सत्यो मासमेकभक्तेन यः क्षिपेत्।
यत्र तत्राभिशेकेण युज्यते ज्ञातिवर्धनः।।”
अर्थात : “जो मन और इन्द्रियों को संयम में एक समय भोजन करते हुए श्रावण मास को व्ययता है, वह विभिन्न तीर्थो में स्नान करने के पुण्यफल से युक्त होता है और अपने कुटुम्बीजनों की वृद्धि करता है।”
चैत्र माह से प्रारंभ होने वाले संवत में श्रावण पांचवा माह है। इसका नाम श्रावण होने का एक कारण यह है कि इस माह पूर्णिमा पर चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में होते हैं। श्रवण का अर्थ होता है सुनना, इस माह में भगवान के स्वरूप के बारे में सुनने से मन के विकार दूर होते हैं। अतः इस माह में धार्मिक ग्रंथों का श्रवण करने का विशेष महत्व है। श्रावण के महत्व का विस्तार से वर्णन करने के निमित्त ब्रह्माजी के चार मुख, इंद्र की हजार आँखें और शेषनाग की दो हजार जीभ हैं।
श्रावण चातुर्मास में होने से वातावरण पूरा माह आध्यात्ममय रहता है। विद्वान साधु संत तथा कथावाचक भगवान शिव, श्री हरि आदि की चरित कथाओं का गुणानुवाद एवं पुराणादि ग्रन्थों का वाचन करते हैं।
भगवान शंकर ब्रह्माजी के पुत्र सनत्कुमार से कहते हैं कि सावन मुझे बहुत ही प्रिय है। सावन का हर दिन एक पर्व है, इस महीने की प्रत्येक तिथि पर व्रत किया जाता है। सावन में एक दिन भी पूरे विधि विधान और भक्ति से व्रत कर लिया जाए तो वो भी मुझे बहुत प्रिय लगता है।
सावन मास में शिवालय भक्ति में डूब जाते है, श्रद्धालुओं द्वारा विशेष पूजा अर्चना की जाती है, प्रत्येक सोमवार लोग व्रत उपवास तथा जलाभिषेक करते हैं। इस वर्ष कैलाशपति भगवान शंकर की स्तुति का अवसर भी आठ सोमवार को मिलने वाला है:
सावन का प्रथम सोमवार: 10 जुलाई
सावन का द्वितीय सोमवार: 17 जुलाई
सावन का तृतीय सोमवार: 24 जुलाई
सावन का चतुर्थ सोमवार: 31 जुलाई
सावन का पंचम सोमवार: 07 अगस्त
सावन का षष्ठम सोमवार:14 अगस्त
सावन का सप्तम सोमवार: 21 अगस्त
सावन का अष्टम सोमवार: 28 अगस्त
पुरुषोत्तम मास दोनों महीनों के मध्य में होता है और इस दौरान कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता। पुरुषोत्तम माह केवल पूजन अर्चन के लिए रहता है। पर्व त्यौहार मेले कृष्ण पक्ष के पहले पंद्रह दिनों में और शुक्ल पक्ष के अंतिम पंद्रह दिनों में होंगे। तदनुसार 17 जुलाई को सोमवती हरियाली अमावस्या है। पुरुषोत्तम मास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक है। इसके बाद हरियाली तीज 19, नाग पंचमी 21, रक्षा बंधन पूर्णिमा 30 अगस्त को है।
हरियाली पर्व त्यौहार सावन के अंतिम चरण में होने से भारतवासियों के मन को सुख शांति की अनुभूति कराने वाला यह पावन महीना दो माह के बराबर होगा और आध्यात्म एवं भक्ति से ओतप्रोत उनसठ दिवस भगवान शिव की उपासना के लिए मिलेंगे।
–संजय गुप्त,
आगरा
#8937001495

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
