

भागवत कथा में सुनाया श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह प्रसंग
कोटा।
रिद्धि सिद्धि नगर कुन्हाड़ी कोटा के राधा माधव मंदिर पर चल रही भागवत कथा ज्ञान गंगा यज्ञ सप्ताह के षष्टम दिवस पर कथावाचक पंडित प्रमोद शर्मा जी ने श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह का प्रसंग सुनाया जिसे श्रद्धालुओं ने बड़ी एकाग्रता से सुना। इस दौरान पुष्पवर्षा भी की गई स्वागत किया गया।विवाह के मंगल गीत गाये गए।प्रसंग में कथावाचक शर्मा जी ने कहा कि रुक्मणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री व साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार थी।रुक्मणी ने जब देवऋषि नारद जी के श्री मुख से भगवान श्री कृष्ण के मुख रूप सौंदर्य व गुणों की प्रशंसा सुनी तो रुक्मणी ने मन ही मन कृष्ण से विवाह करने का निश्चय कर लिया।रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था।वह अपनी बहिन का विवाह चेदि देश के राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था।रुक्मणी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने एक विप्र के साथ सन्देश भेजा तब श्रीकृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुँचे और वहाँ बारात लेकर आए शिशुपाल व उसके मित्र राजाओं शाल्व जरासंध दन्तवक्त्र विदुरथ और पौंडरक को युद्ध मे परास्त करके रुक्मणी का उनकी इच्छा से हरण कर लाए।वे द्वारका पूरी आ ही रहे थे कि उनका मार्ग रुक्मी ने रोक दिया।उसने कृष्ण को युद्ध के लिए ललकार कर चुनोती दी।तब युद्ध मे श्रीकृष्ण और बलराम ने मिलकर रुक्मी को पराजित कर दण्डित किया।ततपश्चात द्वारिका में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सगे सम्बन्धियो के सामने रुक्मणी से विवाह किया।शर्मा ने कहा कि कथा सत्संग सुनना चाहिए क्योंकि सत्संग से मति गति भलाई और कीर्ति मिलती है।कथा श्रवण मात्र से विचार,बुद्धि कर्म और आचरण बदल जाते हैं।
कथा के मुख्य यजमान दिनेश शर्मा बैंक मैनेजर साहब की शानदार व्यवस्था रही। कथा के दौरान संगीत की सेवा दे रहे
आरगन पर किरण कुमार जु,ढोलक पर दीपक जी ,पेड मास्टर सोनू जी ने सबको नृत्य करने झूमने के लिए तैयार रखा। सुमधुर संगीत भजन सबको बहुत अच्छे लगे।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
