

‘ब्रह्म-निरूपण’ पल -पल रे
“पीपल पर पीपल की बाती” ,
जोत – धरो शिवमय भव रे ।
ज्योतिर्मय यह जग-जीवन हो ,
धरा – धाम केशव मय रे ।।
अंधियारे मन के भागेंगे ,
जन – जन – मन कल्याणय रे ।
कहीं न हों तम के जयकारे ,
जगत – ज्योति जयकारय रे ।।
कोयलिया कुहुके पीपल पर ,
केशव की बांसुरिया रे ।
पल्लव-पल्लव ,केशव पग-पग ,
चिड़ियन चह मनुहारय रे ।।
संत – वृन्द पांखी शाखों पर ,
पीपल – पल करतालय रे ।
कलरव के स्वर चहकित सुमधुर ,
गीत-मयी सुर-मालय रे ।।
आज ब्रह्म ने प्रकृति-पटल पर ,
कोंपल – दल मृदु – रूप धरे ।
पीपल के ‘श्यामल-हरि’ ‘हर-हर’ ,
‘ब्रह्म – निरूपण’ पल – पल रे ।।
– संतोष कुमार सोनी
हिन्दी कवि, गीतकार, गजलकार
शिवपुरी -ग्वालियर-भोपाल
भोपाल ( मध्य प्रदेश ) भारतवर्ष

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।

सफल प्रयास के लिए साधुवाद