काव्य : ‘ब्रह्म-निरूपण’ पल -पल रे – संतोष कुमार सोनी,भोपाल

‘ब्रह्म-निरूपण’ पल -पल रे

“पीपल पर पीपल की बाती” ,
जोत – धरो शिवमय भव रे ।
ज्योतिर्मय यह जग-जीवन हो ,
धरा – धाम केशव मय रे ।।

अंधियारे मन के भागेंगे ,
जन – जन – मन कल्याणय रे ।
कहीं न हों तम के जयकारे ,
जगत – ज्योति जयकारय रे ।।

कोयलिया कुहुके पीपल पर ,
केशव की बांसुरिया रे ।
पल्लव-पल्लव ,केशव पग-पग ,
चिड़ियन चह मनुहारय रे ।।

संत – वृन्द पांखी शाखों पर ,
पीपल – पल करतालय रे ।
कलरव के स्वर चहकित सुमधुर ,
गीत-मयी सुर-मालय रे ।।

आज ब्रह्म ने प्रकृति-पटल पर ,
कोंपल – दल मृदु – रूप धरे ।
पीपल के ‘श्यामल-हरि’ ‘हर-हर’ ,
‘ब्रह्म – निरूपण’ पल – पल रे ।।

संतोष कुमार सोनी
हिन्दी कवि, गीतकार, गजलकार
शिवपुरी -ग्वालियर-भोपाल
भोपाल ( मध्य प्रदेश ) भारतवर्ष

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