काव्य : चुनाव की घड़ी – तुषार शर्मा ‘नादान ‘ ,राजिम

चुनाव की घड़ी

पास आ गई,
चुनाव की घड़ी।
नेता जी निकाले,
जादू की छड़ी।।
नकद नारायण,
भले न दें पर।
वादे तो करेंगे,
बड़ी से बड़ी।।
इन वादों में,
आप देख लो।
किसी को मिलता,
मुफ़्त सिलिंडर।
आरोप प्रत्यारोपों का,
मचेगा बवंडर।।
पानी नल से,
भरपूर आएगा।
घर में बिजली,
निःशुल्क पाएगा।।
झुनझुना मिलेगा,
रोजगार का।
तो कोई पाएगा,
कंबल और दरी।।
आचार संहिता,
ताक में रखते।
लगाते वो ऐसे,
लोभ की झड़ी।।
चुनाव आयोग का,
क्या खूब नियम है!
नकद में दंड तो,
प्रलोभन कायम है।
देख के इनको,
जनता त्रस्त है।
वोट देने वह,
धूप में खड़ी।।
पास आ गई,
चुनाव की घड़ी।

तुषार शर्मा “नादान”
राजिम
जिला – गरियाबंद
छत्तीसगढ़

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