

साक्षात दुर्गा थी वीरांगना दुर्गावती
रानी दुर्गावती का जन्म 1524 ईस्वी में हुआ था। उसका राज्य गोंडवाना में था।
महारानी दुर्गावती कालिंजर के राजा कीर्ति सिंह चंदेल की एकमात्र संतान थी, राजा संग्राम शाह के पुत्र दलपत शाह से उनका विवाह हुआ था। दुर्भाग्यवश विवाह के 4 वर्ष बाद ही राजा दलपत शाह का निधन हो गया ,उस समय दुर्गावती का पुत्र नारायण 3 वर्ष का ही था। अतः रानी ने स्वयं ही गढ़ मंडला का शासन संभाल लिया ।वर्तमान जबलपुर उनके राज्य का केंद्र था,
दुर्गावती बड़ी वीर थी उसे कभी पता चल जाता था कि अमुक स्थान पर शेर दिखाई दिया है ,,,तो वह शस्त्र उठा तुरंत शेर का शिकार करने चल देती,, और जब तक उसे मार नहीं लेती थी… पानी भी नहीं पीती थी ।
मुगलों से युद्ध करते हुए रानी ने 1564 ई में बलिदान दे दिया । उनकी मृत्यु के पश्चात उनका देवर चंद्र शाह शासक बना व चंद्र शाह ने मुगलों की अधीनता स्वीकार कर ली।
वीरांगना दुर्गावती साक्षात दुर्गा थी,,,महारानी ने 16 वर्ष राज संभाला। इस दौरान उन्होंने अनेक मंदिर मठ कुएं बावड़ी व धर्मशालाएं बनवाई!
ऐसी वीरांगना से हमारे देश का इतिहास भरा पड़ा है।जिन्होने युद्ध करते करते वीरगति पाई और इतिहास में उनका नाम युगल युगो तक स्वर्ण अक्षरों में छपता रहेगा।
– सुनीता मलिक सोलंकी
मुजफ्फरनगर उप्र

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
