काव्य : स्वागत गान – डॉ. अर्चना मिश्रा दिल्ली

स्वागत गान

ये साल,ये पल फिर बीतने वाला हैं
नववर्ष नव आग़ाज़ करने वाला हैं
क़ही मुक्कमल मुलाक़ातें होगी,
तो कहीं ढेरों बातें होंगी ,
कहीं तन्हाई की बस्ती भी होगी ,
कहीं ग्रहों की चाल भी बदलेगी,
देश दुनिया में अलग ही धूम होगी,
नए रिश्तें भी बनेगे तो कई अपने भी छूटेंगे,
इन सब से दूर कुछ विरक्त लोगों के लिए सिर्फ़ कैलेंडर ही बदलेगा

ये साल कुछ ख़ास होगा
जिसका था इंतज़ार वही काम होगा
कुछ रंग भरूँगी अपनी कल्पनाओं में ज़्यादा
कुछ उड़ान लम्बी होगी,
मानसिक शांति मनोकूल होंगी,
हृदय की पीड़ा शायद लम्बी होंगी
सोच को नया मुक़ाम मिलेगा
अपनी भी बुलंदियों में एक नाम होगा
नववर्ष सिर्फ़ मेरे लिए मात्र कैलेंडर बदलना नहीं
अपने भीतर अनंत जिजीविषा भरकर
एक हुंकार भरूँगी
मरी हुई आत्मा को फिर से जीवित करूँगी ,
नूतन नववर्ष का अभिनंदन करूँगी ,
ढेर सारी तैय्यारियाँ करूँगी ,
सभी को अनंत शुभकामनाएँ दूँगी
ठंड से ठिठुरे सभी लोगों को,खेतों में काम करते सभी मानुस को,
ठंडी पुरवैयाँ को , भीगी सुबह को,
अलसाई रातों को, अल्हड़ सी शरारतों को
बियाबान बस्ती को
तंग गलियों को ,
शहरों के शोर को
जंगल के मोर को
सभी का स्वागत करूँगी
देश की आन बान तिरंगे को नमन करूँगी ,
दिन की शुरुआत मातृभूमि के लिए ही करूँगी ।
जय हिंद जय भारती का गान करूँगी
हाँ नूतन नववर्ष को मैं प्रणाम करूँगी ॥

डॉ. अर्चना मिश्रा
दिल्ली

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