
काली आज की नारी की रोल मॉडल बन सकती है|– सुखदेव प्रसाद दुबे
शनिवार की शाम लेखक के नाम में पुस्तक ‘जयकारी’ पर चर्चा
भोपाल | “आज जब परिस्थितियों का मूल्यांकन करते हैं तो पाते हैं कि देश, विदेश में चारों तरफ खूब तरक्की हुई है, पशु-पक्षी, जीव सभी को आजादी मिली, लेकिन स्त्री को आजादी नहीं मिली| पाँच हजार साल से वह अन्याय सह रही है, उसकी स्थिति में कहीं भी कोई सुधार होता दिखाई नहीं दे रहा है बल्कि इतनी सारी सख्तियों, कानूनों के बावजूद निर्भया जैसे कांड आए दिन सुनने को मिल रहा है|” ये भावपूर्ण उद्गार ‘जयकारी’ पुस्तक के लेखक सुखदेव प्रसाद दुबे ने इंद्रा पब्लिशिंग हाउस और लैंडमार्क द बुक स्टोर की तरफ से आयोजित ‘शनिवार की शाम लेखक के नाम’ ऑनलाइन कार्यक्रम में व्यक्त किए| इंद्रा पब्लिशिंग हाउस की चीफ एडिटर श्रीमती दीपाली गुप्ता के इस सवाल पर कि “आप भारतीय सेवा में प्रशासनिक अधिकारी रहे हैं इसलिए आप काफी व्यस्त भी रहे हैं। इस व्यस्त दिनचर्या में लेखन के लिए आपने समय कैसे निकाला?”
जवाब में अपनी बात रखते हुए श्री दुबे ने कहा कि प्रशासनिक कार्यों के दौरान सुदूर अंचलों में, छत्तीसगढ़, बुंदेलखंड इत्यादि अनेक प्रान्तों के गांवों में घूमने का मौका मिला| स्त्रियों की दशा देखकर मन दुखी होता था और समाधान की तलाश में उनके मुक्ति के लिए, उनको सबल बनाने के लिए अपने स्तर पर प्रयास करता रहा| स्त्री की चुप्पी को उसकी पराजय के रूप में देखा गया| जबकि काली सर्वशक्तिमान है| इसी से इस पुस्तक ‘जयकारी’ का प्रादुर्भाव हुआ|
सनातन धर्म और दर्शन में नारी की शक्ति स्वरूप को जागृत करने की आवश्यकता महसूस हुआ तब काली ही आज की परिस्थितियों में एक मात्र उपाय नजर आया| वैचारिक चेतनता से भरपूर इस ऑनलाइन परिचर्चा में वैश्विक तौर पर बड़ी संख्या में दर्शक जुड़े रहे और प्रतिक्रियाओं के माध्यम से भी उन्होंने अपनी उपस्थिती दर्ज कराई|

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।