

कहानी में व्यक्त से अधिक अव्यक्त पाठकों को अधिक प्रभावित करता है -डॉक्टर शील कौशिक
भोपाल।
रविवार, 24 अप्रैल 2022, को अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच म॰प्र॰ इकाई के बहुचर्चित कार्यक्रम तीन कहानी-तीन समीक्षा गोष्ठी ने अपनी सातवीं पायदान चढ़कर आगे का सफर ऑनलाइन गूगल गोष्ठी के माध्यम से सम्पन्न किया ।
गोष्ठी में मंच की संस्थापक अध्यक्ष वरिष्ठ कहानीकार और नई सदी की नई सोच की कहानियों के आंदोलन की प्रणेता श्रीमती संतोष श्रीवास्तव ने अपने बीज वक्तव्य में कहा कि, “पहले विधाएँ सीमित थीं और सीमित ही लिखने वाले भी। अब विभिन्न विधाओं में लेखक लिख तो रहे हैं परन्तु कहानी पर विमर्श और परिचर्चा कम हो गई हैं। इस दिशा में यह कार्यक्रम एक सार्थक कदम है।
इस गोष्ठी में तीन कहानीकार,
1 – डॉ० रंजना शर्मा जी – अद्भुत मिलन
2 – सुश्री अंजू श्रीवास्तव निगम- विगत
3 – सुश्री सूफिया खान- लाड़ली
ने अपनी-अपनी कहानियाँ पढ़कर सुनायीं।
विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार श्री मेहमूद मलिक ने अपने वक्तव्य में कहा कि “कहानी सुनते समय हमें अपने बचपन का वो मंज़र याद आता है, जब नानी- दादी कहानी सुनाती थी। यही कारण है कि कहानी के साथ आज भी हम उसी गाँव के परिवेश में चले जाते हैं।”
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रसिद्ध साहित्यकार प्रोफेसर इन्दिरा दांगी ने कहा कि “कहानी में गैरज़रूरी बातें न हों, आधा वर्ण भी नागवार गुज़रता है। आधी मात्रा भी यदि लेखक बचा लेता है, तो साहित्य -आचार्य फूल बरसाते हैं।”
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही वरिष्ठ साहित्यकार डॉ॰ शील कौशिक ने अपने सम्बोधन में कहा कि “व्यक्त से अव्यक्त, पाठकों को अधिक प्रभावित करता है। रचनाओं में सुधार की गुंजाइश हमेशा रहती है, साथ ही कहा कि लेखक को बदलते समय के अनुसार कथाओं के विषय बदलते रहना चाहिए, आधुनिक विषय चुनना चाहिए।”
कार्यक्रम के संयोजन और निर्वहन में प्रसिद्ध कहानीकार श्री राज बोहरे का सक्रिय मार्गदर्शन व सहयोग रहा। उन्होंने नए कहानीकारों को कहानी लिखने से ज़्यादा कहानियाँ पढ़ने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि “पहले पढ़ें फिर गुनें और फिर लिखें।”
दर्शक दीर्घा से श्रीमती जनक कुमारी बघेल और डॉ सबीहा रहमानी ने अध्यक्ष महोदया से कुछ प्रश्न भी पूछे। कहानी गोष्ठी में एक समय ऐसा भी आया जब विमर्श उत्कर्ष पर था। यह गोष्ठी, गोष्ठी न होकर एक कहानी की वर्क शॉप के रूप में परिवर्तित हो गई।
सुव्यवस्थित संचालन करते हुए सुश्री महिमा श्रीवास्तव वर्मा ने कहा कि “किस्सा गोई के साथ कहानी तो कोई भी लिख सकता है लेकिन कहानी कितनी सफल हुई, ये कहानीकार की शैली और भाषा शिल्प पर निर्भर करता है।”
मंच की म॰प्र॰ इकाई के सचिव श्री मुज़फ्फ़र इक़बाल सिद्दीकी ने सभी का आभार व्यक्त किया आशा व्यक्त की कि आगे भी सभी का सक्रिय सहयोग इसी प्रकार मिलता रहेगा।
कार्यक्रम में प्रमिला वर्मा, डॉ॰ वर्षा ढोबले, मृदुला मिश्रा, डॉ॰ सबीहा रहमानी, डॉ प्रभु दयाल मंढैय्या, महेश राजा, जनक कुमारी सिंह बघेल, डॉ सबीहा रहमानी, राधा गोयल, पूनम जोशी, राबिया खान, भावना शुक्ल, आनंद तिवारी, रामगोपाल भावुक, शेख शहज़ाद उस्मानी सहित करीब तीस साहित्यकार उपस्थित रहे।
– महिमा श्रीवास्तव वर्मा

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
