प्राथमिकता
ममता उच्च शिक्षा प्राप्त एक मेधावी छात्रा थी परंतु विवाहोपरान्त उसने अपने उज्ज्वल भविष्य के लिए परिवार को प्राथमिकता दी। एक दिन मोबाइल फोन पर संलग्न अपने पतिदेव से कहा, “सुनिए ! ज़रा अनन्या को देख लीजिए। कल उसकी परीक्षा है।मैं रोटी बना रही हूँ।”
महेश ने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया अतः वह स्वयं बच्ची का काम देखने आ गई।ममता ने कहा-“देखा, सारे अक्षर आपस में मिला दिए। यह कोई लिखने का ढंग है।”महेश ने एक दृष्टि डालते हुए कहा-“अरे !बच्ची है।घर में ही लिख रही है ।जाने दो।” इस पर समझाते हुए ममता बोल उठी -“सुन्दर व स्पष्ट लेखन शैली ही साधारण और मेधावी छात्रों के अंकों में अन्तर करते हैं।”
महेश को बात चुभ गई। व्यंग करते हुए कहने लगा कि इसी साधारण छात्र की कमाई से घर चल रहा है। तुम्हारे जैसे मेधावी घर बैठे हैं। ममता बहुत दुःखी हुई।आज उसे अपने निर्णय पर निराशा हो रही थी। तभी बड़ी बिटिया मान्या दौड़ती हुई उसके गले लग गई और बोली -” माँ ,आप तो कमाल हो ! आज आपके बताए निबंध व भाषण प्रतियोगिता दोनों में ही मुझे प्रथम स्थान मिला है। सभी पूछ रहे थे कि तुम्हें कौन पढ़ाता है। “मैंने भी गर्व से कहा “मेरी मम्मी” !
ममता की आँखें खुशी से छलक गई। उसे अब अपने निर्णय पर गर्व था।
– डॉ उपासना पाण्डेय,
प्रयागराज

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।