अंतरराष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच ने बिखेरे होली के रचनात्मक रंग

अंतरराष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच ने बिखेरे होली के रचनात्मक रंग

भोपाल।
शुक्रवार 25 मार्च को दुष्यंत कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय भोपाल में शाम 6 से 9 बजे तक
अंतरराष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच का  होली मिलन समारोह बाल साहित्य शोध केंद्र के निदेशक श्री महेश सक्सेना जी  की अध्यक्षता में 22 कवियों ने होली गीत एवं हास्य व्यंग्य की रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को हंसी से लोटपोट कर दिया। वरिष्ठ लेखिका संतोष श्रीवास्तव जी ने अपने स्वागत वक्तव्य में  विभिन्न प्रदेशों की होली का जिक्र करते हुए कहा कि विश्व मैत्री मंच आज शब्दों की होली खेलेगा। यह एक रचनात्मक उपहार है ।
श्री महेश सक्सेना जी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि उन्होंने आज रचनाकारों में बहुत उत्साह और जोश देखा। उन्होंने कहा कि आज मैंने यहां पर कुछ ऐसी बहुमुखी प्रतिभाओं को देखा देखा जिन्हें अब तक उनके कार्य क्षेत्र पर ही देखा था । इन प्रतिभाओं को देख कर आज मैं अभिभूत  हूं।”
कवियों में मनीष बादल ने होली के दोहे सुनाए-भूल गिले-शिकवे/गले मिले सब लोग, मधुलिका सक्सेना ने होरी में भीजे राधा प्यारी/ वे ठाड़ी वृषभानु दुलारी जी,
जया केतकी होरी में गोरी /लिए रंग कटोरी /चली पी को लगाने अबीर, डॉ क्षमा पांडे कान्हा बांधे मुकुट/ खेले होली, सुनीता प्रकाश देखो री सखी श्याम खेलन आए होली/  जया आर्य आया मौसम प्यार का /कान्हा  ही न आए , संतोष श्रीवास्तव रंग न जाने हिंदू-मुस्लिम /रंग न जाने काबा काशी/रंग उतर आते जब दिल में /रूहानी हो जाती होली, सुनीता शर्मा रंग डारो रंग डारो /मोहे श्याम सखा ने रंग डारो, कमल चंद्रा फागुनी बयार कानों में आकर यूं बोली /इंद्रधनुषी छटा बिखराती आ गई होली, मुकेश कबीर प्यार भरे नगमे लेकर आ गया मैं /अपनी प्रेमिका को सुना देना। महिमा श्रीवास्तव वर्मा और नविता जोहरी ने गीत नाटिका बनड़ी खेतों में तू आजा री बहुत ही खूबसूरत ढंग से प्रस्तुत की।
इस अवसर पर वनमाली सृजन पीठ के निदेशक श्री मुकेश वर्मा एवं मेला प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री राजेश श्रीवास्तव सहित शहर के गण्यमान साहित्यकारों की विशेष उपस्थिति रही।

श्रीमती संतोष श्रीवास्तव

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