काव्य भाषा : होली की तनहाई है – राजीव कुमार झा , इंद्रपुर

कविता
होली की तनहाई है

राजीव कुमार झा

आज चुप्पी क्यों छायी है
होली की तनहाई है
कहां गयी अब
बच्चों की टोली
राधा भी बरसाने से
अब तक गोकुल
नहीं आयी
धूपभरी गलियों में
रंगों की बरसात
समायी री !
तुम होली का
गीत सुनाई
झूम – झूम कर नाचेंगे
यार दोस्तों के संग
अपना आंगन घर द्वार
गोरी भीगे लाल कंचुकी
और हरी सलवार
जोगीरा सा रा रा !
अरी सुंदरी !
कम से कम खिड़की से देखो
सैंया भये कोतवाल
आज की रात
नाच गान की महफिल
चैता आयो रे !
नदी के तट पर
घोड़ों की आहट
आधी रात बीती पहरिया
कितनी कच्ची अभी उमरिया
नैन लड़ाओ
वह मथुरा का राजा रे !

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