काव्य भाषा : मोहक है मुस्कान – किरण मिश्रा “स्वयंसिद्धा” नोयडा

मोहक है मुस्कान

मोहक है मुस्कान कान्हा की ,
मोहक है मुस्कान,मोहक है मुस्कान कान्हा की मोहक है, मुस्कान।

भर पिचकारी कान्हा ने मारी।
भीगी चोली भीगी सारी।
राधा भई निसान,
सखी री,मोहक है मुस्कान।
मोहक है, मुस्कान कान्हा की मोहक है मुस्कान।

लाल गुलाल भरि मुट्ठी में
कान्हा
ढूँढें गलिन में राधा राधा,
सखियों पर रंग दिया डाल,
ग्वाल बाल सब लाल।
सखी री,मोहक है मुस्कान,
मोहक है मुस्कान ,कान्हा की मोहक है मुस्कान।

जमुना तीरे हुडदंग मचावे।
गोकुल गली रंगोत्सव मनावे।
छेड़े बाँसुरी तान।
सखी री, मोहक है मुस्कान।
मोहक है मुस्कान कान्हा की मोहक है मुस्कान।

आगे आगे कुँवर कन्हाई
छिपती भागें वृषभानु कुमारी
वृन्दावन मचा धमाल,
सखी री,मोहक है मुस्कान,
मोहक है मुस्कान,कान्हा की मोहक है मुस्कान।।

किरण मिश्रा “स्वयंसिद्धा”
नोयडा

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