विनम्र श्रद्धांजलि,लता मंगेशकर – डॉ ब्रजभूषण मिश्र भोपाल

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विनम्र श्रद्धांजलि,लता मंगेशकर

अब ,गीत ,सूना है हुआ,
संगीत भी ,सूना है अब
मखमली आवाज खोई
,क्या कभी, लौटेगी अब

आवाज ही ,पहचान तेरी
संगीत की ,अद्भुत,चितेरी
छन्द, कविता की अमर वाणी
खत्म न हो, तूँ वह,कहानी

भूल, तुमको कौन सकता
तुम सभी के ,मन बसी हो
गीत में,हर गान में,वीणा की हर तान में
सुर,लय ,की हर लहर में,जैसे तुम ही कसी हो

पद्म पुरस्कार की ,तुम आभा
हो हीरा, मोती ,स्वर्ण सब रत्न
गीतों की आत्मा,देश की आवाज तुम
तुम से शोभित, पुरस्कार भी, भारत रत्न

लता, नहीं तुम अमरबेल हो
सुर,सरगम ,आवाज का मेल हो
ब्रज,भूलेगा भारत तुम्हें कैसे
छन्द,चौपाई सभी गीतों का मेल हो

प्रेम गीत का, प्रेम तुम
विरह गीत में ,उर बसी
उत्सव,पर्व,संवादों की वाणी
ब्रज,तेरी आवाज ,जग में बसी

बिसरा सकता, तुम्हे दिल नहीं
तेरे गीत बिना,महफ़िल नहीं
गूँजती रहोगी, तुम जग में हरदम
गीत की आवाज में,सर्वत्र यहीं

डॉ ब्रजभूषण मिश्र
भोपाल

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