ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ

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संस्कार साहित्य मंच छ ग के स्थापना दिवस पर ऑनलाइन कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन

सराईपाली।
संस्कार साहित्य मंच छ ग के चौथे स्थापना दिवस पर ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया,जिसका वर्चुअल उद्घाटन माँ सरस्वती की पूजा अर्चना के साथ चन्दर सिदार के सरस्वती वंदना से मंच के अध्यक्ष धनीराम नंद मस्ताना व शैलेंद्र नायक शिशिर ने किया।सर्वप्रथम मंच के सचिव मानक दास मानिकपुरी ने सलाना आय व्यय का ब्यौरा दिया।मंच को आगे बढ़ाने के लिए सदस्यों ने कुछ विचार रखे,जिसमें प्रमुख रूप से मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन,वार्षिक व मासिक शुल्क लेने पर विचार,मंच के सदस्यों का जन्मदिन माह के अंतिम शनिवार को आयोजित करने,साप्ताहिक विषय प्रदान करना व रचनाओं की समीक्षा,प्रत्येक तीन वर्ष में नए कार्यकारिणी का गठन करना,प्रत्येक वर्ष स्थापना दिवस पर साझा संकलन का प्रकाशन व मासिक ई बुक के प्रकाशन पर आम सहमति बनी।
ऑनलाइन काव्य सम्मेलन में प्रथम काव्यांजलि ललित भार ने कोरोना की विभीषिका पर प्रस्तुत की उन्होंने कहा कि-इस बड़ी संकट में,अपने होने का परिचय दें,किसी को पैसे,किसी को सामान अपनी सामर्थ्य से जरूर दें।तत्पश्चात रुक्मणी भोई ने बेटियों पर हो रहे अत्याचार को इंगित करते हुए कहा-बेटी को रात को घर से निकलने से रोका जा रहा है,लेकिन दिन दहाड़े क्यों नोचा जा रहा है।शंकर सिंह सिदार ने पर्यावरण जागरूकता पर छत्तीसगढ़ी गीत से प्रस्तुत की-धरती मोर प्राण हे,रुख राही मितान हे।युवा हस्ताक्षर आलोक प्रधान ने स्वतंत्रता दिवस की महानता का बखान करते हुए देशभक्ति पूर्ण रचना प्रस्तुत की।डिजेन्द कुर्रे कोहिनूर ने माँ की महत्ता का गुणगान करते हुए कहा- तोर अँचरा के छइँहाँ मोला सरग बरोबर लागे ओ।गणपत देवदास ने चुनावी पैरोडी-मोदी जी वाह,मोदी जी वाह से खूब वाहवाही लूटी।चन्दर सिदार ने योग की महत्ता का बखान करते हुए आओ मिलकर हम सब योग दिवस मनाएँ।
मानक छत्तीसगढिया ने शिक्षा परक रचना संस्कार साहित्य मंच पर कविता पढ़ी-आपसी सहयोग से बड़े बड़े काम आसान होते हैं।ख़िरसागर चौहान ने माहिया छंद में अपनी रचना अच्छा इंसान बनूँ प्रस्तुत किया।सुन्दर लाल डडसेना मधुर ने बेटियों पर हो रहे अत्याचार पर करुण रस की रचना पढ़ी व पुलवामा के शहीदों को याद करते कहा कि- पुलवामा के शहीदों को इंसाफ दिलाना बाकी है।धनीराम नंद मस्ताना ने छत्तीसगढ़ी महतारी का बखान करते हुए कहा कि – तोला धान के कटोरा कहिथें,मोर छत्तीसगढ़ महतारी।शैलेन्द्र कुमार नायक शिशिर ने कविता कैसे लिखें व कविता का विषय क्या हो पर सारगर्भित विचार रखे व अपनी छंदबद्ध रचना से खूब वाहवाही बटोरी।छुआछूत,जात पांत,अमीरी गरीबी के भेद को मिटाने प्रयोगवादी रचना- लहू का रंग एक है प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन मानक छत्तीसगढिया व कार्यक्रम का सफल संचालन सुन्दर लाल डडसेना”मधुर”ने किया।

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