काव्य भाषा : नया साल,नई शुरुआत – सजल नायक जबलपुर

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नया साल,नई शुरुआत

नया साल,नई शुरुआत,
वापस आयी,कोरोना ले साथ,
ओमिक्रोन वेरियंट का नाम,
साथ लाया सर्दी,बुख़ार, जुखाम,
हम सबके आज़ाद-बेफ़िक्र घूमने पर,
फिर लगादी इसने रोक-थाम,
गोआ,हिमाचल, राजस्थान बने ख़ास,
पर्यटक गए थे उत्साह के साथ,
घूमेंगे-फिरेंगे, नाचेंगे-गाएंगे,
उल्लासित हो अपनो के पास,
दूल्हा-दुल्हन,परिवार,रिश्तेदार,
उत्सव मनाने की लगाए थे आस,
नई उम्मीदें, नए सपने,
नया साल,लाएगा नई बाहर,
यही सोच सबके घरों में,
बना नाश्ता-मिठाई और लाड़ू बेहिसाब,
पर फिर चेहरे पर मास्क,
संग हैंड सैनिटाइजर की बोतल,
हाथों में थाम,
निकलना होगा घर से हमको,
कड़कती ठंड में अपने सारे काम,
नए साल में सेहत की,
निगरानी फिर ज़रूरी है,
अपनों का भी ध्यान रखें हम,
दो गज की दूरी के साथ,
जल्द ही बसंत आएगी,कोरोना खत्म कर,
प्यार का त्योहार संग लायेगी,
फिर फ़ागुन में होली के रंग,
लाएंगे हम सबको पास,
बस कुछ वक्त का और सब्र कर,
जीलें हम सावधानी के साथ,
फिर जीयेंगे सपनों को अपने,
एक दूसरे का थामे हाथ,
खुली हवा में सांस लेंगे,
नई शुरुआत हम सभी करेंगे,
फिर मिलकर हर दिन मनाएंगे,
हम नया साल,एक नया साल।।

~सजल नायक
जबलपुर

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