आईये, हम, मिलकर ढूंढे, चारित्रिक महामारी से उपजे, भ्रष्टाचार के रोग का इलाज – बेलिहाज

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आईये, हम, मिलकर ढूंढे, चारित्रिक महामारी से उपजे, भ्रष्टाचार के रोग का इलाज – बेलिहाज

साहित्यकारो की ऑन लाईन संगोष्ठी आयोजित

मणीकांत चौबे जी बेलिहाज प्रांतीय संयोजक के निर्देशन में बुंदेलखंड हिंदी साहित्य संस्कृति विकास मंच सागर द्वारा 1408 वी (आन लाईन स्वरूप में 87 वी) साप्ताहिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें मध्यप्रदेश के अलावा देश के विभिन्न प्रांतों नई दिल्ली,यू पी, गुजरात, कर्नाटक,राजस्थान,झारखंड के साहित्य मनीषियों को काव्य पाठ हेतु आन लाईन आमंत्रित किया गया । आज की संगोष्ठी के अध्यक्ष डाॅ श्याम मनोहर सिरोठिया ने अपने उद्बोधन में कहा कि– देश में,अट्ठाईस वर्षों से ज्यादा समय से साहित्य- गोष्ठियों की निरंतरता बनाए रखने के इरादे की अडिगता और क्रियान्वयन की जीवटता लिये मणीकांत चौबे जी बेलिहाज जी, आज भी इस साहित्यिक यज्ञ में निरंतरता की आहुति दे रहें हैं ।नलिन जैन के कुशल संचालन से आनंद लाईन संगोष्ठी लोकप्रिय हो रही है । शीत लहर पर मधुर स्वर मे काव्यपाठ भी किया- ठिठुर रहे गलियारे आंगन, सोया सोया घर है,, बाहों भर जाडा है यारों, धूप अंजुरी भर है,,सुबह लगे सिमटकर दुल्हन सी,कुछ जागी कुछ सोयी ,, सूरज के पहले चुंबन की,मधुर याद मे खोई। कोलाहल जम गया बर्फ सा,सूनी पडी डगर है। ।संगोष्ठी के शुभारंभ में पृथ्वीपुर से कल्याण दास साहू पोषक ने मधुर स्वर में भक्ति भाव से माँ-सरस्वती-वंदना प्रस्तुत की। संस्था के संयोजक मणीकांत चौबे बेलिहाज ने, संगोष्ठी में उपस्थित समस्त साहित्यकारों व श्रोताओं का हार्दिक स्वागत व अभिनन्दन करते हुए, अपने उद्बोधन में समाज को सचेत करते हुए कहा कि– कोरोना एक बार फिर से हमलावर है,और
हम बचाव की मुद्रा में हैं।वैक्सीन लगाने के बाद भी सावधानियाँ बरतने की आवश्यकता है ।आज देश जिस दौर से गुजर रहा है ,उसमें आपा-धापी व भ्रष्टाचार दोनो ही हैं ।हमारा व आपका दायित्व है कि चारित्रिक महामारी से उपजे भ्रष्टाचार का इलाज ढूंढें। काव्य पाठ करते हुए कहा कि हुए,उन्होंने कहा कि- समृद्ध के द्वार खडे तरह तरह के लोग, चतुर जन अकेले खडे,येअद्भुत संजोग,, राजनीति के खेल में रातों रात अमीर,कोई न समझा खेल को,उल्टी चली समीर।। सौदा महंगे हो गये पैसा सस्ता आज,नीलामी पर देश है,अद्भुत आया राज,,काला पीला कर रहे ,पद का दुरूपयोग, आवारा संतान हुई,कालाधन का योग ।। संस्था के 28 वर्षो से, प्रति शनिवार निरंतरआयोजित होती आ रही संगोष्ठी में,आज काव्यपाठ हेतु आन लाईन रूप से उपस्थित साहित्य मनीषी गण यथा- रीवा से डा बारेलाल जैन,एवंश्रीमती वर्षा तिवारी, भोपाल से प्रतीक द्विवेदी, दमोह से डाॅ रघुनंदन चिले,एवं डाॅ प्रेमलता नीलम, टीकमगढ़ से मनीषा मनोज दीक्षित, बडामलहरा से डाॅ देवदत्त द्विवेदी सरस एवं राजेंद्र यादव, पृथ्वीपुर से वीरेंद्र त्रिपाठी,तथा सागर से;डाॅ सीताराम श्रीवास्तव भावुक ,पूरन सिंह राजपूत,डा सरोज गुप्ता, डा करूणा ठाकुर, श्रीमती सुनीला सराफ, आर के तिवारी,राधा कृष्ण व्यास ने अपने अपने अंदाज में सुन्दर रचनायें प्रस्तुत की ।श्रोताओं के रूप में नगर तथा बाहर के विद्वज्जनों की गरिमामय उपस्थिति से गोष्ठी का आयोजन आनंदमय रहा ।उपस्थित साहित्य मनीषी व प्रबुद्धजन- शुकदेव तिवारी, प्रो सुरेशआचार्य,डा लक्ष्मी पांडेय, लक्ष्मीनारायण चौरसिया, डा अनीता कर्पूर(बैगलुरू)श्रीमती चांदनी केशरवानी(नई दिल्ली) रामलाल द्विवेदी प्राणेश (कर्वी चित्रकूट) ,सुश्री किरण राज (डाल्टनगंज झारखंड ),सुश्री ओसीन निर्भीक (कोटा राजस्थान ) शिखरचंद शिखर, मणिदेव ठाकुर, अनिल जैन विनर सुरेन्द्र शुक्ला,परम लाल तिवारी, मुकेश तिवारी , डा चंचला दवे,राजेन्द्र दुबे कलाकार उमाकांत मिश्र,डा विनोद तिवारी,कपिल बैसाखिया , सिराज सागरी, देवकीनन्दन रावत,ईश्वर चंद जैन,शरद जैन गुड्डू, डा योगेश दत्त तिवारी, आन लाईन उपस्थित रहकर कवियों का उत्साह वर्धन करते हुए,संगोष्ठी को सफल बनाया । डा नलिन जैन ने संगोष्ठी का कुशल संचालन किया तथा संयोजक मणीकांत चौबे ने उपस्थित समस्तसम्माननीय साहित्य मनीषियों व श्रोताओं का आभार व्यक्त किया ।

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