

नव वर्ष संकल्प यही, कि अब सदैव, संतोषी व ईमानी जीवन जियेंगे : बख्शी
साहित्यकारों की ऑन लाईन संगोष्ठी संपन्न
समाज में सकारात्मक ऊर्जा संचार व समरसता की भावना के प्रसार हेतु बुंदेलखंड हि. सा. सं. वि. मं के संयोजक मणीकांत चौबे के संयोजन में, प्रति शनिवार, निरंतर आयोजित होती आ रही संगोष्ठी के 28 वे वर्ष में,1407 क्रम की संगोष्ठी आयोजित हुई कोविड के दौरान, संगोष्ठी आन लाईन स्वरूप में, संपन्न हो रही है, जिसका 86वा क्रम है। मध्यप्रदेश के अलावा दिल्ली, कर्नाटक, राजस्थान, गुजरात, यू.पी. के साहित्यकार काव्य पाठ हेतु उपस्थित रहते हैं। आज की संगोष्ठी के शुभारंभ में पृथ्वीपुर से से श्रीमती संध्या साहू ने भक्तिभाव से सस्वर माँ सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की। अध्यक्ष कृष्णकांत बख्शी ने प्रभावी उद्बोधन में नव वर्ष 2022 की शुभकामनाएं प्रेषित की, कि हर जन स्वेच्छा से संकल्प लें कि अब से संतोषी व ईमानी होकर भ्रष्टाचार से मुक्त जीवन जियेंगे और सदैव के लिए अभय आनंदमय व शांतिपूर्ण जीवन यापन करेंगे। इस प्रकार मैं और मेरा परिवार के परमाण्विक लक्ष्य से शुरू होकर, मै और मेरा नगर- सागर, संतोषी व ईमानी होकर, देश का पहला, भष्ट्राचार से मुक्त नगर, होने का गौरव हासिल करें— यही हमारा शुरूआती लक्ष्य है ।मणीकांत चौबे जी बेलिहाज ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारे देश की परंपरा, अलग अलग धर्मों के रीति रिवाज, तीज त्योहार के अनुसार नव वर्ष भी, विविध स्वरूपों में, अलग अलग समय पर आता है। आंग्ल परंपरानुसार नव वर्ष का त्योहार, समाज में सर्वमान्य रूप से प्रचलित है, तदनुसार, 2021 से परिवर्तित होकर, नव वर्ष 2022 के शुभागमन पर, स्वस्थ सुखी समृद्ध, भ्रष्टाचार व कदाचार से मुक्त, समाज की स्थापना हेतु, मंगलकामनाएं प्रेषित करते हुए, यह भी संदेश दिया कि वर्ष जरूर बदला पर समस्यायें यथावत हैं, अब समाज में ओमिक्रान तेजी से, अपनी बाहें पसारने लगा है, अतः पहले जैसी सतर्कता, मास्क का उपयोग तथा दो गज दूरी तथा हाथों की निरंतर सफाई का निष्ठा पूर्वक पालन करते रहना है। तथा अपना व परिवारजनों का टीका करण भी अवश्य करना है। ये सभी सावधानियाँ, हमें हर पल स्मरण रखना है, इस संबंध में- “बचाव करिये, सुरक्षित रहिये”, यही हमारा नारा है ।काव्य पाठ करते हुए, मणीकांत चौबे ने कहा कि, नव वर्ष मंगल-मय हो, हर मुश्किल पर विजय हो। बेलिहाज, सुख दुख बाँटें हिलमिल, इस दौर में सबकी जय हो। नव प्रकाश ,नव किरण के साथ, सवेरा आया है। खत्म होगी बदहाली, यह विश्वास जागा है । खुशहाली साबित होगी, विश्वास संदेशा लाया है।
संगोष्ठी में काव्य पाठ हेतु आमंत्रित साहित्य मनीषीगण रीवा से डाॅ बारेलाल जैन व नेहा शुक्ला, दमोह से श्रीमती पुष्पा चिले एवं विमला तिवारी, टीकमगढ़ से प्रेम घनघोरिया, पृथ्वीपुर से वीरेंद्र त्रिपाठी, व अशोक पटसारिया, बडा मलहरा से डाॅ देव दत्त द्विवेदी सरस एवं संजय तिवारी निवाडी से राम निवास तिवारी, सागर से: डॉ सीताराम श्रीवास्तव भावुक, डा चंचला दवे, पूरन सिंह राजपूत, राधा कृष्ण व्यास , मणिदेव ठाकुर, अनिल जैन विनर, ने अपने अपने अंदाज में,सुन्दर रचनाओं की प्रस्तुति दी। श्रोताओं के रूप में विभिन्न साहित्य मनीषियों व नगर तथा नगर के बाहर के विद्वज्जनों की गरिमामयी उपस्थिति से गोष्ठी का स्वरूप आनंदमयी रहा, उपस्थित साहित्य मनीषी गण शुकदेव तिवारी, प्रो सुरेश आचार्य, डाॅ लक्ष्मी पांडेय, लक्ष्मी नारायण चौरसिया, डा सरोज गुप्ता, एच पी सिंह, शिखरचंद शिखर, रागिनी सिंह, डॉ विनोद तिवारी सिराज सागरी, मुकेश तिवारी, उमाकांत मिश्र अध्यक्ष श्यामलम, ईश्वरचंद जैन, देवकी नन्दन रावत, कपिल बैसाखिया, राजेन्द्र दुबे कलाकार, शरद् जैन गुड्डू ,डॉ योगेश दत्त तिवारी आन- लाईन उपस्थित रहकर कवियों का उत्साह वर्धन करते रहे । डाॅ नलिन जैन ने ,संगोष्ठी का कुशल संचालन किया तथा राधाकृष्ण व्यास जी ने समस्त सम्माननीय साहित्य मनीषियों का आभार व्यक्त किया।
डॉ चंचला दवे सागर

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
