भारत की संस्कृति और परंपरा को साहित्यकारों ने जीवंत रखा – कैलाशचन्द्र पन्त

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भारत की संस्कृति और परंपरा को साहित्यकारों ने जीवंत रखा – कैलाशचन्द्र पन्त

भोपाल| “भारत की संस्कृति और परंपरा को साहित्यकारों ने अपनी कलम से जीवंत बनाए रखा है| इन साहित्यकारों ने अपनी भाषा के माध्यम से इतिहास को संवारा है और सबके प्रति निष्ठा की दिखाई है|”- ये उदगार मध्य प्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के मंत्री संचालक श्री कैलाशचंद्र पंत ने व्यक्त किए| वे हिंदी भवन में भोपाल की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हाल ही में दिवंगत हुए भोपाल के साहित्यकार – प्रख्यात नाटककार श्री सुरेशचंद्र शुक्ल ‘चंद्र’, व्यंग्यकार डॉ. अंजनी चौहान, कवि ओम भारती और साहित्यकार डॉ. लक्ष्मी नारायण गुप्त को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे थे| प्रारंभ में हिंदी भवन के निदेशक डॉ. जवाहर कर्नावट ने प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा इन साहित्यकारों के लिए प्रेषित श्रद्धाजलि संदेश का वाचन किया| इस अवसर पर श्री धीरेन्द्र शुक्ल भीउपस्थित रहे एवं पिता को स्मरण करते हुए भाव सुमन अर्पित किए|

स्मृति सभा में मध्यप्रदेश लेखक संघ के अध्यक्ष डॉ. रामवल्लभ आचार्य, कला मंदिर के अध्यक्ष श्री गौरीशंकर ‘गौरीश’, अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के महामंत्री श्री पुरुषोत्तम तिवारी, व्यंग्य लेखक समिति के संयोजक श्री अरुण अर्नव खरे, नाट्य मंच के संयोजक श्री अशोक बुलानी, मध्यभारत साहित्य समिति, इंदौर के साहित्य मंत्री श्री हरेराम वाजपेयी एवं श्री सूर्यप्रकाश जोशी ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की| अंत में लघुकथा शोध केंद्र की निदेशक कान्ता रॉय ने आभार व्यक्त किया|

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