काव्य भाषा : पापा मेरा गुरूर है – विभोर गुप्ता, हरियाणा

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पापा मेरा गुरूर है

हर बच्चे के पास
ख्वाहिशो का ढेर होता है।
पापा हो तो हमेशा बच्चों का
दिल गुलज़ार होता है।
चाहे कितने अलार्म लगा लो
सुबह उठने के लिए।

पापा की एक आवाज काफी है
मुझे जगाने के लिए ।
मेरे पापा मेरे जीवन की शान है।
मेरे पापा मेरी पहली पहचान है।

पापा मेरा गुरूर है
जो कभी टूट सकता नहीं।
पापा है जीवन की खूबसूरत ख़ुशियाँ,
जिन्हें मैं कभी छोड़ सकता नहीं।

अपने पापा को आज के दिन
मैं क्या उपहार दूँ?
उनके पदचिन्हों पर चलकर
उनका नाम रौशन करूँ।

पापा है मोहब्बत का नाम,
पापा को हजारों सलाम।
ईश्वर से है यही प्रार्थना,
मेरा जीवन आये उनके काम।

विभोर गुप्ता
कक्षा – 9
गुरुग्राम, हरियाणा

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