ग़ज़ल संग्रह “उजाला कहाँ गया” का लोकार्पण एवं कवि सम्मेलन हुआ

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ग़ज़ल संग्रह “उजाला कहाँ गया” का लोकार्पण एवं कवि सम्मेलन हुआ

हिंदुस्तानी एकेडेमी एवं सोपान साहित्यिक संस्था (पंजीकृत) के संयुक्त तत्वाधान में, हिंदुस्तानी एकेडेमी के गाँधी सभागार में रविवार, दिनांक 28 नवम्बर,2021 को गोरखपुर के वरिष्ठ शायर सरवत जमाल साहब के ग़ज़ल संग्रह “उजाला कहाँ गया” का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर एक भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया गया।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता आकाशवाणी प्रयागराज के डायरेक्टर श्री लोकेश शुक्ल जी ने किया एवम् मुख्य अतिथि के तौर पर एडिशनल एडवोकेट जनरल, हइकोर्ट, इलाहाबाद आदरणीय कमरुल हसन सिद्दीक़ी साहब ने शिरक़त की। आदरणीय सैयद काज़िम आब्दी,फाउंडर, बज़्मेयारा। आदरणीय तलब जौनपुरी साहब ने विशिष्ट अतिथि के तौर पर शामिल होकर कार्यक्रम को गरिमा बढ़ाई।

कार्यक्रम के प्रथम सत्र का संचालन सोपान साहित्यिक संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव नसीब जी एवं उपाध्यक्ष आदरणीया शालिनी श्रीवास्तव जी ने किया।
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र कवि सम्मेलन का संचालन प्रयागराज के शायर जनाब एम. एस. खान जी ने किया।

श्रीमती अना इलाहाबादी जी ने पढ़ा….
” किसी तमगे दुशाले की न चाहत सुर्खियों की है
मैं शेरो शायरी बस शौकिया हज़रात करती हूँ”

कृष्णकांत कामिल (प्रयागराज) जी ने पढ़ा…..
पहले तो इम्तिहान में रक्खा गया मुझे
फिर वक़्त की उड़ान में रक्खा गया मुझे

*नज़र इलाहाबादी साहब जी ने पढ़ा….
ज़िन्दगी सँवारने में , ज़िन्दगी गुज़र गयी।
ज़िन्दगी को ढ़ूढ़ रहा,ज़िन्दगी किधर गयी।।

शिशिर सोमवंशी साहब (प्रयागराज) जी ने अतिसुन्दर गीत पढ़ा….
ये गीत मिलन का अपना है
जिसे हम तुम गुपचुप सुनते हैं
नयनों में उभरे इन्द्रधनुष
जब नयन हमारे चुनते हैं ।

*शैलेन्द्र जय साहब (प्रयागराज) जी ने पढ़ा…..
हालात और बदतर हो जाते
हम भी अगर पत्थर हो जाते
फूलों से भी लग जाती है चोट
तो क्या जय हम नश्तर हो जाते

*शालिनी श्रीवास्तव (लखनऊ) जी ने पढ़ा….
” वक़्त आया ज़िस्म पर रानाइयों का,
सिलसिला भी चल पड़ा रुसवाइयों का।

*डॉ. प्रियंका त्रिपाठी (शहडोल) जी ने पढ़ा
” जहाँ पे खाई थी क़सम जनम-जनम का साथ हो,
उसी नदी का तट है ये यही वो देवदार है।

*राजीव नसीब (प्रयागराज)जी ने पढ़ा…..
“हर इक नज़र के देखने का ज़ाविया अलग सा है,
हर इक बशर की ज़िंदगी का फ़लसफ़ा अलग सा है”

राजवीर सिंह जी ने पढ़ा…
बड़ा रंगीन मौसम है, बड़ा दिलकश नज़ारा है,
कहाॅं हो तुम चले आओ, तुम्हें दिल ने पुकारा है।

सरवत जमाल (गोरखपुर), तलब जौनपुरी (प्रयागराज), शिशिर सोमवंशी (प्रयागराज), शैलेन्द्र जय (प्रयागराज), कृष्ण कांत कामिल (प्रयागराज), जीतेन्द्र मिश्र जलज (प्रयागराज), एम. एस. खान (शाहिद अली) प्रयागराज, खान अब्दुल्ला (प्रयागराज), तारिक ज़फ़र (प्रयागराज), राजवीर सिंह (बदायूँ), अशोक श्रीवास्तव (प्रयागराज) ने कवि सम्मेलन में रचना पाठ किया।

अंत में सोपान साहित्यिक संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव नसीब ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।

1 COMMENT

  1. शुक्रिया,ज़र्रा नवाज़ी, थैंक्स, आभार वग़ैरह बोलने की आदत नहीं है। कार्यक्रम बहुत शानदार था।

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