काव्य भाषा : प्रश्न,जवाब है जिन्दगी – डॉ ब्रजभूषण मिश्र भोपाल

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प्रश्न,जवाब है जिन्दगी

भटकाव है जिंदगी
उतार चढ़ाव है जिंदगी
उलझती,सुलझती
प्रश्न,जवाब है जिंदगी

सतत यात्रा है
कम,ज्यादा मात्रा है
है अनमोल
इसका न नाप तौल

सहज ग्रहण कर
जियें,जिन्दगी के पल
समय के साथ
होते इसके सवाल हल

सार्थक, सम्पूर्ण जीना है
इसका सब कड़वा,मीठा पीना है
एक मन्जिल,एक कारण
नहीं है जिन्दगी
कोई समस्या या निवारण नही है ब्रज ,जिन्दगी

डॉ ब्रजभूषण मिश्र
भोपाल

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