शिक्षा बढ़ रही है किन्तु ज्ञान घट रहा है : अभ्युदय भाई

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शिक्षा बढ़ रही है किन्तु ज्ञान घट रहा है : अभ्युदय भाई

सागर।
पूरी दुनिया में हम तीव्र गति से भौतिक उन्नति कर रहे है, मोबाईल की मदद से सोशल मीडिया के माध्यम से हम अपने विचारों को प्रेषित कर रहे हैं। तो नैतिक पतन भी उतनी ही तेज गति से हो रहा है। आज शिक्षा बढ़ रही है किन्तु ज्ञान घट रहा है। विश्व हिंसा और स्वार्थ में लगातार वृद्धि के बावजूद इस पर ध्यान न दिया जाना चिंताजनक है। भारत में वर्ग विद्वेष बढ़ रहा है। परिवार में व्यवस्था कमजोर हो रही है। समाज व्यवस्था की सारी भूमिका राज्य व्यवस्था के पास सिमट गई है। पश्चिम की अनेक अवधारणाएं भारत में सत्य के समान स्थापित हो रही है। लोकतंत्र की विश्वव्यापी असफलता प्रणाली के बावजूद भी भारत लोकतंत्र के विकल्प के तौर पर लोक स्वराज प्रणाली को आगे नहीं ला पा रहा है।
लोकतंत्र का अर्थ लोक नियंत्रित तंत्र होता है, जो अब लोक नियुक्त तंत्र तक आकर सिमट गया है। इसे तो ज्ञानयज्ञ जन जागरण यात्रा देशव्यापी जागरुकता का संदेश आचार्य बजरंग मुनि के कुशल निर्देशन में दे रही है। उपरोक्त विचार भारत यात्रा पर निकली ज्ञान यज्ञ परिवार मार्गदर्शक सामाजिक शोधसंस्थान के प्रमुख आचार्य बजरंग मुनि के अन्नय सहयोगी विचारक अभ्युदय भाई स्थानीय अंकुर स्कूल मकरोनिया में बुद्धिजीवियों की सभा में व्यक्त किए। सर्व प्रथम अभ्युदय भाई, अयोध्या से मंगल भाई, वाराणसी से सुजीत भाई, दानवीर गुलझारीलाल जैन, अखिल भारतीय साहित्य सृजन मंच के राष्टÑीय अध्यक्ष महेश दत्त त्रिपाठी, यात्रा संयोजक आरएन मिश्रा, ने भारत माता की पूजन अर्चन कर दीप प्रवज्जवल के साथ परिचर्चा का शुभारंभ स्वरात प्रार्थना से किया। स्वागत भाषण देते हुए आरएन मिश्रा ने कहा कि हम सागर में संवाद के माध्यम से ज्ञान यज्ञ को गति दे रहे हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्ष सामज सेवी आरडी शर्मा ने एवं विशिष्ठ अतिथि राष्टÑपति पुरुस्कृत शिक्षक देशराज सिंह ठाकुर ने योग, ध्यान, ईश्वर उपासना पर बल दिया। युवा कवि रुद्रेश पांडे, डॉ. ओम प्रकाश चौबे, रि.मेडीकल आफीस, सागर रत्न सुबोध मलैया, आरके चौबे, हेमलता दुबे, जीपी गुप्ता ने व्यवस्था परिवर्तन तथा भारत की बुनियादी समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए अतिथियों का जय जगत जय भारत के नारों के साथ पुष्पहार पहना कर सम्मान किया।
विशिष्ठ वक्ता पं. महेश दत्त त्रिपाठी शिक्षाविद् ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए वसुधेव कुटुम्बकम की भावना को युवाओं, किशोरों में अतीत के महान देशभक्तों और वर्तमान सद्भावी महापुरुषों को उनकी गौरव गाथा से परिचित करते लोकतंत्र को साकार करना होगा तभी हम भारत माता के सच्चे सपूत कहलाएंगे। सत्यम बुंदेली संग्राहलय अध्यक्ष दामोदर अग्निहोत्री ने ज्ञान यज्ञ व्यवस्था को संवाद एवं शास्त्रार्थ सम्म्त बनाने की आवश्यकता प्रतिपादित की। गजलकार वृंदावन राय सरल ने काव्या गोष्ठ का शुभारंभ करते हुए गीत और मुक्तक पढ़े, अपने जीवन को संवार ले आसमान मन में उतार ले, इस जीवन का नहीं ठिकाना झूठ कपट इसे बचाना।
वहीं रुदेश पांडे ने क्षणिकांए, पं. महेश त्रिपाठी ने हम मोड़ने चले है प्रचंड युग की धारा, उठते हैं गिरते-गिरते हे साथी दो हमें सहारा। अभिषेक लोधी ने युवा दिशा परिवर्तन गीत, रिचा तिवारी शोध छात्रा फामेर्सी ने मजदूरों की स्थिति, रामकुमार टीलाखेड़ी ने युव परिवर्तन लाना है, सतीश खरे ने मदद करो सबकी गुलझारीलाल जैन ने सुने सबकी करें मनकी सुनाकर सभी को प्रफुल्लित किया। ज्ञान यज्ञ यात्रा ने सद्गुरु कबीरधाम पहुंचकर डॉ. रामजीवन शात्री के साथ आध्यमिक चर्चा कर साहित्य भेंट किया। इस समारोह में भूपेन्द्र लोधी, मोतीदाउ, राजेन्द्र विश्वकर्मा, इंजी. ऋग्वेद त्रिपा ठी, सुबोध मलैया, मंगलप्रसाद, दामोदर जैन आदि गणमान्य जन उपस्थित रहे। आभार सुबोध मलैया ने व्यक्त किया।

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