नर्मदा केवल नदी नहीं, पूरी सभ्यता है -पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर

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नर्मदा केवल नदी नहीं, पूरी सभ्यता है -पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर

सुरेश पटवा द्वारा रचित पुस्तकों का भव्य लोकार्पण संपन्न

भोपाल | “लोकमंगल की नदी है नर्मदा, यह सिर्फ एक नदी नहीं हमारी पूरी सभ्यता है| नदियाँ हमें संस्कार देती हैं, नदियों से ही हमारा जीवन और अस्तित्व है| विकास के नाम पर धनपशु नदियों को निगल रहे हैं| इस आसन्न संकट और इसकी भयावहता को समझ साहित्यकार इस दिशा में कार्य करें|” – यह कथन है पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर, संस्थापक-निदेशक, माधवराव सप्रे समाचार पत्र संग्राहलय का जो मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, हिंदी भवन, भोपाल द्वारा साहित्यकार श्री सुरेश पटवा की सद्य प्रकाशित कृतियों ‘नर्मदा’ एवम ‘पलकगाथा’ उपन्यास के लोकार्पण अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार प्रकट कर रहे थे|
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति हिंदी भवन के अध्यक्ष सुखदेव प्रसाद दुबे ने कहा कि – “अब साहित्यकार नदियों के संरक्षण हेतु कलम ही नहीं, कुदाल भी चलाएं| लेखक ने लोकार्पित हुई अपनी कृतियों के माध्यम से नदियों और समाज की रुग्ण दशा का प्रभावी और मार्मिक चित्रण किया है|” कार्यक्रम में समिति के मंत्री संचालक कैलाशचन्द्र पन्त ने पुस्तक के लेखक श्री पटवा का शॉल, श्रीफल और पुष्पहार से
सम्मान किया| इस अवसर पर स्वागत उदबोधन हिंदी भवन के निदेशक डॉ. जवाहर कर्नावट ने प्रस्तुत किया| पुस्तकों के लेखक सुरेश पटवा ने अपनी सृजन यात्रा के बारे में विस्तार से अपनी बात रखी|पुस्तक केंद्रित समीक्षा वरिष्ठ साहित्यकार डॉ, रामवल्लभ आचार्य एवम डॉ. मोहन तिवारी आनन्द ने प्रस्तुत की| कार्यक्रम का संचालन घनश्याम मैथिल ‘अमृत’ ने किया और अंत में श्रीमती कांता राय ने आभार प्रकट किया| इस अवसर पर नगर के अनेक गणमान्य साहित्यकार एवम पुस्तक प्रेमी उपस्थित थे|

(कान्ता रॉय)
प्रशासनिक अधिकारी
हिन्दी भवन, भोपाल

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