

बासंतिया चाँद
ढूँढ़ दो कोई वो
पीला बासंतिया चाँद
माँ जिसे बुलाती थी बचपन मे
दूध भात खिलाने को
मेरा मन बहलाने को
ढूँढ़ दो कोई मुझे
वो पीला बासंतिया चाँद
जिसकी एक झलक को
रुक गया मेरा यौवन
जो लौटा नहीं फिर गुजर कर
ढूंढ दो कोई मुझे
वो पीला बासंतिया चाँद
जो बिखेरता है चाँदनी आज भी
मन के आंगन में,पेड़ के पत्तो से छानकर
ढूंढ दो कोई मुझे
वो पीला बासंतिया चाँद
जो चिढ़ाता है मेरी उम्र को
मुझे बताना है उसे उसके
दूज और पूर्णिमा के रूप को
ढूंढों न कोई मेरा
वो पीला बासंतिया चाँद
जो मेरी रोशनी भी और
परछाई भी है और पता नहीं
वो मेरे पास है या ब्रज, हूँ मैं उसके पास
डॉ ब्रजभूषण मिश्र
भोपाल

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
